लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने मशहूर फिल्म निर्माता एवं निर्देशक संजय लीला भंसाली की बहुचर्चित फिल्म ‘पद्मावती’ की रिलीज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया है। प्रदेश में कानून-व्यवस्था के लिए संकट खड़ा होने का अंदेशा जताते हुए राज्य सरकार ने सेंसर बोर्ड से भी अनुरोध किया है कि कोई भी फैसला लेने से पहले जनभावनाओं का ख्याल रखे।
प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव एन के सिन्हा को पत्र लिखकर प्रदेश सरकार की इस मंशा से अवगत कराया है। इस पत्र की प्रति केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनुराग श्रीवास्तव को भी भेजी गई है।
राज्य सरकार ने अपने पत्र में कहा है कि सत्य, सकारात्मक एवं सद् विचारोन्मुखी कथाओं पर आधारित फिल्में जहां समाज को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित एवं प्रभावित करती हैं। वहीं, ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करते हुए अतिरंजित, असत्य व काल्पनिक कथाओं वाली फिल्में राष्ट्र व समाज में विषाक्त वातावरण पैदा कर सामाजिक विद्वेष उत्पन्न करने के साथ-साथ कानून व व्यवस्था के लिए भी गंभीर चुनौतियां उपस्थित करती हैं।
पत्र में लिखा है कि अतीत में ऐसे मौके आए हैं, जब इस प्रकार की फिल्मों से बड़े पैमाने पर अराजकता एवं कानून-व्यवस्था की स्थितियां उत्पन्न हुई हैं।
प्रमुख सचिव गृह ने पत्र में खुफिया विभाग की रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि 9 अक्टूबर को फिल्म के ट्रेलर लांच के बाद से ही विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अन्य संगठनों में रोष दिखाई दे रहा है।
उनका कहना है कि फिल्म में कुछ दृश्य ऐसे हैं, जिनका उल्लेख किसी ऐतिहासिक पुस्तक में नहीं है। संगठनों द्वारा फिल्म के प्रदर्शित होने पर सिनेमा घरों में तोड़फोड़ व आगजनी की चेतावनी दी जा रही है।
गृह विभाग ने पत्र में कहा कि प्रदेश में तीन चरणों में नगर निकायों के चुनाव हो रहे हैं और एक दिसंबर में मतगणना होनी है। इस वातावरण में फिल्म का प्रदर्शन होने से प्रदेश में व्यापक पैमाने पर अशांति एवं कानून-व्यवस्था के लिए चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं।
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