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हमारी संस्कृति स्वीकार करने की है नकारने की नहीं : मोहन भागवत - Sabguru News
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हमारी संस्कृति स्वीकार करने की है नकारने की नहीं : मोहन भागवत

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हमारी संस्कृति स्वीकार करने की है नकारने की नहीं : मोहन भागवत
pune students ask question to RSS chief Mohan Bhagwat in Chatra sansad
pune students ask question to RSS chief Mohan Bhagwat in Chatra sansad
pune students ask question to RSS chief Mohan Bhagwat in Chatra sansad

मुंबई। पुणे शहर में आयोजित हुई 6वीं छात्र संसद के दूसरे दिन उसमें शामिल हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने छात्रों के कड़े सवालों का जवाब देते हुए कहाकि हमारी संस्कृति स्वीकार करने की है नकारने की नहीं।

इस दौरान राम मंदिर को लेकर एक छात्र ने भागवत से पूछ लिया कि राम मंदिर बनाने से क्या गरीबों की थाली में रोटी आएगी?, इसके जवाब में भागवत ने कहा कि राम मंदिर नहीं बना तो क्या गरीबों की थाली में रोटी आ रही है। समाज में इस प्रकार के विवाद आज के जमाने के नहीं हैं, वे पहले से ही चले आ रहे हैं।

पुणे शहर में आयोजित हुई 6वीं छात्र संसद में बोलते हुए भागवत ने कहाकि भारत की महान संस्कृति ही देश के संविधान की आत्मा है और भाईचारा ही हमारा धर्म है। भारत के 5 हजार वर्षों की महान परंपरा वाली संस्कृति हमारे संविधान की आधारशिला है।

pune students ask question to RSS chief Mohan Bhagwat in Chatra sansad
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हमसे अलग हुआ पाकिस्तान का संविधान आगे चलकर एक पंथ संप्रदाय का बन गया, क्योंकि उनके अलग होने की सोच और समाज की प्रकृति ही वैसी थी। हमारे संविधान ने सभी को स्वीकार किया है, किसी को नकारा नहीं है, क्योंकि हमारी आध्यात्मिकता वाली संस्कृति इसी गुणे से ओतप्रोत है।

असहिष्णुता के सवाल पर भागवत बोले कि भावनाओं के चलते और अपने स्वार्थ के लिए इस तरह के बयान देने वाले लोगों पर मेरा भरोसा नहीं है। हमारी संस्कृति स्वीकार करने की है नकारने की नहीं। इसलिए जो लोग इस तरह के बयान दे रहे हैं वे अपने स्वार्थ के लिए ही दे रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि छात्र संसद के दौरान सवाल-जवाब सेशन का भी आयोजन किया गया था, जिसमें चार छात्रों को सीधे भागवत से सवाल पूछने का मौका मिला। आरक्षण के मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर भागवत ने कहा कि देश में जब तक नस्लीय भेदभाव है तब तक आरक्षण लागू रहना चाहिए। लेकिन इसे ईमानदारी से लागू किया जाना चाहिए।