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punjab elections 2017 : 70 percent turnout recorded
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पंजाब में 70 फीसदी से अधिक मतदान, फैसला ईवीएम में कैद

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पंजाब में 70 फीसदी से अधिक मतदान, फैसला ईवीएम में कैद
punjab elections 2017 : 70 percent turnout recorded
punjab elections 2017 : 70 percent turnout recorded
punjab elections 2017 : 70 percent turnout recorded

चंडीगढ़। पंजाब में शाम पांच बजे के बाद मतदान प्रक्रिया समाप्त हो गई। 70 फीसदी से अधिक मतदान होने का अनुमान लगाया गया है। फाजिल्का व संगरूर जिले में सबसे अधिक 73 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। सबसे कम 56 फीसदी मतदान रोपड़ जिले में हुआ है। EC के मुताबिक पंजाब में कुछ जगहों पर झड़प हुई।

11 मार्च को होगा फैसला

पंजाब के कई दिग्गजों की किस्मत का फैसला मतदाताओं ने शनिवार को ईवीएम में बंद कर दिया है। सिकंदर कौन होगा, इसका फैसला आगामी 11 मार्च को होगा।

प्रकाश सिंह बादल इतिहास दोहराएंगे या केजरीवाल और कैप्टन अमरिंदर सिंह को जनता सरताज बनाएगी। इसका फैसला पंजाब के मतदाताओं ने आज मतदान के माध्यम से कर दिया है। 89 साल के वर्तमान मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को लांबी सीट पर मात देना किसी भी उम्मीदवार के लिए बेहद कठिन होगा। वे यहां से लगातार चार बार जीत चुके हैं। इस बार इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है।

कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह भी इस क्षेत्र से उम्मीदवार हैं। हालांकि मुख्य मुकाबला अमरिंदर सिंह और बादल के बीच ही माना जा रहा था। जरनैल सिंह को लोग बाहरी उम्मीदवार के तौर पर देख रहे थे। बादल ने इस बार अपने आखिरी चुनाव का दांव खेलकर भावुक अपील मतदाताओं से की थी।

पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह इस बार कांग्रेस की ओर से सीएम पद के दावेदार हैं। उन्होंने पटियाला (अर्बन) और लांबी दोनों सीट पर चुनाव लड़ा है। पटियाला को कैप्टन का गढ़ माना जाता है। वे लगातार तीन बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं। कैप्टन मौजूदा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का किला कहलाने वाली लांबी सीट से भी उम्मीदवार हैं।

बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर (ईस्ट) सीट से चुनाव मैदान में हैं। ये सीट उनकी पत्नी ने खाली की थी। यहां से सिद्धू की जीत की संभावना प्रबल लग रही है। वे तीन बार लोकसभा में अमृतसर सीट की नुमाइंदगी कर चुके हैं।

पंजाब के डिप्टी सीएम और प्रकाश सिंह बादल के बेटे सुखबीर सिंह बादल जलालाबाद सीट पर सांसद भगवंत मान से आमने सामने हैं। सुखबीर बादल यहां से पहले भी दो बार चुनाव जीत चुके हैं। उनकी जीत का अंतर हर बार कम हुआ है। 2012 में वे महज 30 हजार वोटों से इस सीट को जीत पाए थे।

एंटी-इंकबेंसी के अलावा आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मौजूदा लोकसभा सांसद भगवंत मान की लोकप्रियता से निपटना भी उनके लिए आसान नहीं है। भगवंत मान के प्रचार के दौरान उनकी रैलियों में खासी भीड़ देखी गई थी लेकिन शराब की लत जैसे विवाद उनके लिए मुकाबले को कठिन बना सकते हैं।

हालांकि कांग्रेस ने रवनीत बिट्टू को सुखबीर बादल के खिलाफ उतारा है लेकिन उनकी उम्मीदवारी रस्म अदायगी ज्यादा नजर आई। विक्रम सिंह मजीठिया सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर के छोटे भाई हैं। उन्हें अकाली दल सरकार के सबसे कद्दावर मंत्रियों में गिना जाता है।

मजीठा सीट को उनके परिवार का मजबूत गढ़ माना जाता है। मजीठिया यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। इस बार आम आदमी पार्टी ने हिम्मत सिंह शेरगिल को उनके खिलाफ उतारा है। शेरगिल रूपनगर से पिछला लोकसभा चुनाव हार गए थे। शेरगिल ने प्रचार के दौरान ड्रग्स का मसला जोर-शोर से उठाया था।

मजीठिया पर ड्रग तस्करों के साथ सांठगांठ का आरोप लगता रहा है| इस मामले में वो दो बार ईडी की पूछताछ का सामना भी कर चुके हैं। पंजाब में आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं में शुमार एच एस फुल्का दखा सीट से प्रत्याशी हैं। यहां उन्हें शिरोमणि अकाली दल के मनप्रीत सिंह टक्कर दे रहे हैं। फुल्का 84 के सिख दंगा पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ते रहे हैं। इसके चलते सिखों के बीच उनका खास सम्मान है।