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punjab and haryana High Court sets aside appointment of 18 Chief Parliamentary Secretaries
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हाईकोर्ट का फैसला, 18 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति अवैध

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हाईकोर्ट का फैसला, 18 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति अवैध
punjab and haryana High Court sets aside appointment of 18 Chief Parliamentary Secretaries
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punjab and haryana High Court sets aside appointment of 18 Chief Parliamentary Secretaries

चंडीगढ़। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला देते हुए पंजाब सरकार द्वारा वर्ष 2012 में नियुक्त किए गए 18 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को खारिज कर दिया है।

जस्टिस एसएस सारों व जस्टिस रामेंद्र जैन की खंडपीठ ने कहा कि सभी नियुक्तियां अवैध हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में 28 जुलाई 2015 को फैसला सुरक्षित रखा था। एक साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है।

वकील एचसी अरोड़ा और जगमोहन सिंह भट्टी की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया कि सीपीएस के पद असंवैधानिक हैं। विधायकों की कुल संख्या के 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते। ऐसे में इन नियुक्तियों को खारिज किया जाए।

याचिका में कहा गया कि मुख्य संसदीय सचिवों की यह नियुक्ति नियमों के खिलाफ है। विधायकों की कुल संख्या के 15 फीसदी को ही मंत्री बनाया जा सकता है। ये पद संवैधानिक नहीं है। याचिका में कहा गया कि संविधान में इन पदों पर नियुक्तियों का कोई प्रावधान नहीं है।

सीपीएस को मंत्री के समान सुविधाएं दी जाती हैं जो सरकारी कोष पर अतिरिक्त भार है। ऐसे में इन नियुक्तियों पर रोक लगाई जाए। भट्टी ने इस संबंध में हरियाणा के में सीपीएस की नियुक्तियों को भी हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है जिस पर सुनवाई विचाराधीन है।

याचिका में कहा गया कि मुख्य संसदीय सचिव का कोई पद ही नहीं होता। यह नियुक्तियां असंवैधानिक हैं। इन नियुक्तियों के जरिए महज राजनीतिक हित साधने का प्रयास किया जाता है। ऐसे में इन नियुक्तियों को खारिज किया जाए।