चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा आम चुनावों में अब मात्र एक वर्ष से भी कम समय शेष रह गया है परन्तु आम आदमी पार्टी पर पंजाबी अपनी पूंजी लगान के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। पंजाबी ‘आप’ के लिए अपना पर्स ढीला करने के लिए तैयार नहीं हैं।
राज्य में चाहे ‘आप’ नेता अपना संगठन को चुस्त बनाने के लिए जुटे हुए हैं परन्तु आम पंजाबी से उन्हें पार्टी के लिए पर्याप्त पैसा नहीं मिल रहा है। ‘आप’ वैबसाइट से पार्टी को विश्वभर से मिलने वाली दान राशि का पता चलता है।
दिसम्बर 2013 के बाद से ‘आप’ को मिली कुल धनराशि में पंजाब के लोगों का योगदान मात्र 3.4 प्रतिशत रहा। दान देने वाले राज्यों की सूची में भी पंजाब का स्थान छठे नंबर पर रहा।
दिल्ली सभी राज्यों में पहले स्थान पर रहा। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक तथा हरियाणा के बाद ही पंजाब का नंबर आता है।
पंजाब के लोगों ने अभी तक खुल कर ‘आप’ के प्रति अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई है। यहां तक कि पंजाब की तुलना में हरियाणा के लोगों ने दान में ‘आप’ को दुगनी राशि दी है।
देश भर से ‘आप’ को कुल 50 करोड़ रुपए इकटठे हुए हैं जबकि पंजाब के लोगों ने मात्र एक करोड़ की राशि ही अभी तक ‘आप’ को दी है।
लोकसभा चुनाव में पंजाब में ‘आप’ ने 4 सीटें जीती थी परन्तु उसके बाद से पंजाब के लोगों की दिलचस्पी ‘आप’ के प्रति लगातार घटती गई।
राज्य में चाहे आम आदमी पार्टी द्वारा डिनर मीटिंगें शुरू की गई है परन्तु उसके लिए उसने प्रति प्लेट 5000 रुपए रखे हैं। इसका जवाब कांग्रेस ने कई स्थानों पर लंगर लगाकर दिया।
कांग्रेस ने कहा कि पंजाब की संस्कृति लोगों को लंगर खिलाने की रही है। यहां तक कि शिअद के नेताओं ने भी ‘आप’ पर हल्ला बोलते हुए कहा था कि वह पंजाब को लूटने आ रही है।
दिसम्बर 2013 के बाद से ‘आप’ को दिल्ली से 31.5, महाराष्ट्र से 25.6, उत्तर प्रदेश से 7.9, कर्नाटक से 7.1, हरियाणा से 5.7, अन्य राज्यों से 18.8 तथा पंजाब से 3.4 प्रतिशत राशि दान में मिली है।
पंजाब के लोग सियासी दलों को चुनावों के समय दिल खोल कर पार्टी फंड के लिए पैसा देते हैं परन्तु अभी तक ‘आप’ इस मामले में फिसड्डी ही सिद्ध हुई है।