नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय रणनीतिक गठजोड़ को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शिखर बैठक गुरूवार को होगी। इस बैठक में परमाणु उर्जा, पेट्रोलियम ईंधन तथा रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग के विस्तार के लिए विशेष चर्चा होगी।
मोदी के साथ प्रतिनिधि स्तर की वार्ता तथा अलग से बैठक में पुतिन यूक्रेन मुद्दे को लेकर अमेरिकी तथा उसके पश्चिमी सहयोगी देशों द्वारा रूस पर लगाये गये प्रतिबंध के प्रभाव को बेअसर करने के लिये अपने पुराने मित्र देश भारत के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने की दिलचश्पी जाहिर कर सकते हैं। इस यात्रा के दौरान दोनों पक्ष 15 से 20 समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच 2000 से शिखर सम्मेलन बारीकृ बारी मास्को तथा नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है।
अपनी यात्रा से पहले, पुतिन ने भारत के साथ संबंधों को एक श्विशेष रणनीतिक गठजोड़श् करार दिया और कहा कि बातचीत के एजेंडा में नये परमाणु संयंत्र का निर्माण के अलावा सैन्य तथा तकनीकी सहयोग सबसे ऊपर है।
उन्होंने कहा कि रूस, भारत को तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का निर्यात करने तथा आर्कटिक क्षेत्र में तेल एवं गैस की खोज में ओएनजीसी को शामिल करने को इच्छुक है। अमेरिका तथा चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश भारत, रूस में बड़ी तेल एवं गैस परियोजनाओं में बड़ी भूमिका चाहता है और दोनों नेताओं की इस मुद्दे पर बात होना लगभग तय है। रूस दुनिया में शीर्ष तेल उत्पादक देशों में शामिल है और उसके पास भारी मात्रा में प्राकृतिक गैस के भंडार हैं।
परमाणु उर्जा के क्षेत्र में रूस, भारत में 20 से 24 परमाणु बिजलीघर लगाने की पेशकश कर सकता है जबकि पूर्व में वह 14 से 16 बिजलीघर लगाने पर सहमत था। दोनों पक्ष उर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिये रूपरेखा रख सकते हैं।
रूस के राजदूत एलेक्जेंडर कदाकिन ने कहा कि दोनों देश कुडनकुलम परमाणु बिजली परिसर में पांचवी और छठी इकाई की स्थापना के लिये जल्दी ही बातचीत शुरू करेंगे और पुतिन के प्रवास के दौरान तीसरी और चैथी इकाई के लिये तकनीकी समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। रूस नये रूसी डिजाइन वाले परमाणु बिजलीघर लगाने के लिये निर्माण स्थल आवंटन की प्रतीक्षा कर रहा है और बातचीत में यह मुद्दा उठ सकता है।
पुतिन के साथ रूस के 15 प्रमुख उद्योगपति भी आएंगे और मोदी तथा रूसी राष्ट्रपति संयुक्त रूप से दोनों देशों के प्रमुख कंपनियों के सीईओ और मुख्य कार्यपालक अधिकारियों से बातचीत कर सकते हैं क्योंकि व्यापार संबंधों को बढ़ाना शिखर सम्मेलन के एजेंडे में सबसे प्रमुख विषय होगा। वर्ष 2013 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10 अरब डालर का था और दोनों पक्षों का मानना है कि इसमें उल्लेखनीय वृद्धि के काफी अवसर हैं।
भारत व्यापार बढ़ाने के लिये यूरेशियाई क्षेत्र के साथ व्यापार समझौता करने के लिये काम करता रहा है। इससे रूस के साथ भी कारोबार बढ़ेगा। यूक्रेन मामले को लेकर पश्चिमी देशों द्वारा रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगने के बाद भारत से खासकर खाद्य वस्तुओं का निर्यात बढ़ा है। भारत यह कहता रहा है कि वह रूस के खिलाफ किसी आर्थिक प्रतिबंधों का पक्ष नहीं बन सकता।