हैदराबाद। पद्मभूषण से सम्मानित पूर्व बिलियर्ड्स चैंपियन माइकल फेरेरा को धोखाधड़ी के मामले में हैदराबाद हाई कोर्ट से राहत मिल गई है।
हाई कोर्ट ने आगे की जांच पर रोक लगा दी है। गौरतलब है कि फेरेरा को पिछली रात मार्केटिंग संबंधी लाखों रुपए की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
इससे पूर्व मुंबई की सत्र अदालत ने पूर्व बिलियर्ड्स चैंपियन माइकल फेरेरा को 13 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था। माइकल फेरेरा सहित कुल पांच लोग क्यूनेट चीटिंग केस में आरोपी हैं।
आरोप है कि कंपनी ने मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम के नाम पर निवेशकों से करोड़ों की ठगी की। पूरे देश में तकरीबन पांच लाख निवेशक ठगे गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर माइकल फेरेरा ने कंपनी के दूसरे डायरेक्टर के साथ अदालत में समर्पण किया। वहां माइकल फेरेरा की तरफ से वरिष्ठ वकील अमित देसाई ने दलील दी कि फेरेरा का कंपनी में सिर्फ शेयर था। वे कंपनी के कामकाज में शामिल नहीं थे।
सेलेब्रिटी होने के नाते वे कंपनी के कार्यक्रमों में शामिल होते थे। चूंकि उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में भेजने की जरूरत नहीं है। लेकिन अभियोजन पक्ष की मांग पर अदालत ने माइकल परेरा को 13 अक्टूबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया।
हैदराबाद में इसकी जांच पड़ताल कर रहे डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस अविनाश मोहन्ती ने आज एक पत्रकार सम्मलेन में कहा कि क्यू-नेट ने निवेशकों को प्रलोभन देने हेतु अपनी मल्टीलेवल मार्केटिंग स्कीम के लिए पिरामिड बिजनेस मॉडल का उपयोग किया, जो प्रतिबंधित है।
यह भारत में “विहान डायरेक्ट मार्केटिंग सेलिंग कंपनी’ के अंतर्गत संचालित की जा रही थी, जो मैग्नेटिक डिस्क, हर्बल उत्पाद बेचती थी और हॉलिडे स्कीम चलाती थी। यह घोटाला 300 करोड़ का है।
फेरेरा और उनके सहयोगी इसके डायरेक्टर थे। कुछ निवेशकों की शिकायत के आधार पर जांचकर्ताओं ने क्यू-नेट के 4 कर्मचारियों को हैदराबाद में गिरफ्तार किया और शीर्ष प्रबंधक पकड़े गए थे।