लखनऊ। परीक्षा में नकल कराने का मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) को रद्द कर दिया है। इसके बाद अब उत्तर प्रदेश कंबाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (यूपीसीपीएमटी) पर भी सवाल उठ रहे हैं।
ऐसे में परीक्षा का आयोजन कराने वाले दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने सफाई दी है। विश्वविद्यालय ने सॉल्वर के पटना में बैठकर नकल कराने का दावे को गलत ठहराया है।
कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने कहा कि हाईकोर्ट ने आठ जून के अपने आदेश में परीक्षा दोबारा कराने की मांग को खारिज किया है। अभी एक याचिका हाईकोर्ट में लंबित है, ऐसे में कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।
कुलपति ने समय से पहले यूपीसीपीएमटी के रिजल्ट घोषित करने पर उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार तो नहीं हुआ है। 2013 में कानपुर यूनिवर्सिटी की मेजबानी में यूपीसीपीएमटी की परीक्षा हुई थी। तब भी रिजल्ट तय तारीख से पहले घोषित हुए थे।
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी शुचितापूर्ण ढंग से परीक्षा आयोजित कराने की थी, जो पूर्ण हो गयी है। एसटीएफ ने खुद भी कहा है कि किसी भी परीक्षार्थी को गलत ढंग से मदद नहीं पहुंचाई जा सकी।
विश्वविद्यालय के पास अब तक किसी भी तरह की कोई भी शिकायत नहीं आई है। इसका परीक्षाफल घोषित होने के बाद से अब तो विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी समाप्त हो गई।
गौरतलब हो कि पेपर लीक हो जाने के चलते तीन मई को लिया गया ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट 2015 रद्द कर दिया गया है। परीक्षा में शामिल हुए लगभग सभी साढ़े छह लाख स्टूडेंट्स को अब दोबारा टेस्ट देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह फैसला सुनाते हुए सीबीएसई को चार हफ्ते में दोबारा परीक्षा आयोजित कराने के लिए कहा है।
तीन मई को परीक्षा के दौरान कई सेंटर्स पर गड़बड़ी सामने आई थी। पेपर लीक हो गए थे। छात्र नकल करते पकड़े गए थे। कई छात्रों ने नकल के लिए अंडरगारमेंट में चिप लगा रखी थी।
सबसे अधिक (15) पश्चिम बंगाल सेंटर पर गड़बड़ी सामने आई थी। रोहतक के 11, अजमेर के चार, जमशेदपुर के तीन और चंडीगढ़, देहरादून, भोपाल सहित कई सेंटर्स पर परीक्षा के पेपर लीक होने के मामले सामने आए थे।
यूपीसीपीएमटी रद्द करने को हाई कोर्ट में याचिका दायर
25 मई 2015 को हुए उत्तर प्रदेश सीपीएमटी परीक्षा को रद्द करने हेतु इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में निरुपमा तथा दो अन्य अभ्यर्थियों द्वारा एक याचिका दायर की गई है।
याचीगण की अधिवक्ता डॉ नूतन ठाकुर ने बताया कि परीक्षा शुरू होते ही पेपर लीक होने के बात सार्वजनिक हो गयी थी और इस सम्बन्ध में एसटीएफ ने थाना गौतमपल्ली में मुकदमा कायम करते हुए तेरह लोगों को गिरफ्तार किया था।
याचिका के अनुसार हाल में सुप्रीम कोर्ट में एआईपीएमटी की सुनवाई के समय भी एसपी रोहतक की रिपोर्ट से यह बात प्रकाश में आई है कि विजय यादव, नन्हा और सुजीत नाम के तीन लोगों ने उस परीक्षा के साथ सीपीएमटी में भी पेपर लीक किया था जिनके बारे में एसटीएफ को जानकारी तक नहीं होना इस लीक की व्यापकता को प्रमाणित करता है।
अतः याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सहारा लेते हुए एक सामान मामला होने के कारण सीपीएमटी परीक्षा को भी निरस्त करने की मांग की गयी है।