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Quetta Police Academy attack : Pakistan suffers for its own deeds
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पुलिस अकादमी पर आतंकी हमला : अपने कर्मों का फल भुगत रहा पाकिस्तान

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पुलिस अकादमी पर आतंकी हमला : अपने कर्मों का फल भुगत रहा पाकिस्तान
Quetta Police Academy attack : Pakistan suffers for its own deeds
Quetta Police Academy attack : Pakistan suffers for its own deeds
Quetta Police Academy attack : Pakistan suffers for its own deeds

पाकिस्तान के अशांत क्वेटा शहर में एक पुलिस प्रशिक्षण अकादमी पर हुए आतंकवादी हमले में 60 से अधिक कैडेट की मौत हो गई और 118 अन्य घायल हो गए हैं।

यहां तीन आतंकवादियों ने हमला किया था उक्त तीनों आतंकवादियों ने आत्मघाती जैकेट पहन रखा था। उन आतंकियों में से दो ने खुद को विस्फोट में खत्म कर लिया जबकि एक को सुरक्षा बलों ने मार गिराया।

अब पाकिस्तान को उसकी खुद की सरजमीं में हुई इस आतंकी वारदात के बाद भी कुछ अक्ल आयेगी यह कहा नहीं जा सकता क्यों कि पाकिस्तान में पल रहे कुख्यात आतंकी मानवता विरोधी एवं स्वयं पाकिस्तान के लिए भी बहुत बड़ा खतरा हैं लेकिन पाकिस्तान द्वारा इस यथार्थ को स्वीकार करने के बजाय आतंकियों को पाल-पोषकर उनका इस्तेमाल हमेशा भारत के खिलाफ ही करने की कोशिश की जाती रही है। यही कारण है कि भारत लंबे समय से पाकपोषित व पाक प्रायोजित आतंकवाद से पीडि़त है।

पाकिस्तान अगर चाहता तो वह कालांतर में विश्व बिरादरी के बीच अपनी बदलती हुई छवि और उसके अंत:करण में पनपते हुए नेक इरादों का प्रमाण प्रस्तुत करते हुए आतंकी संगठनों एवं उनके झंडाबरदारों पर लगाम लगाने की कोशिश कर सकता था। लेकिन शायद पाकिस्तान ने छद्मयुद्ध और आतंकवाद को ही भारत से कश्मीर हथियाने का आधार मान लिया है।

आतंकवाद के गढ़ के रूप में पाकिस्तान पूरी विश्व बिरादरी के बीच बदनाम हो चुका है तो पाकिस्तान के आम लोगों की बदहाली भी किसी से छिपी नहीं है। आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक किसी भी स्तर पर देखा जाए तो पाकिस्तान की अधिकांश आबादी बदहाली का दंश झेलते हुए ही अपना जीवन गुजारने के लिये अभिषप्त है।

पाकिस्तान के हुक्मरान अगर चाहते तो वह आतंकवाद व आतंकियों को बढ़ावा देने के बजाय उन पर सख्त लगाम लगाते तथा अपने मुल्क में मानवीय मूल्यों के संरक्षण तथा संवर्धन का मार्ग प्रशस्त करते हुए आवाम की भलाई एवं कल्याण के लिए सार्थक ढंग से अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते थे।

फिर न तो उनके देश में किसी आतंकी संगठन को बढ़ावा मिलता, न ही आतंकवादी पाकिस्तान को अपने लिए शरणस्थली मानते, न ही इस तरह से खून खराबा होता और न ही पाकिस्तान को यूं ही बदनामी व अपयश का शिकार होना पड़ता।

2014 में पाकिस्तान के पेशावर में कैंट एरिया के करीब वार्सक रोड स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए आतंकी हमले में 141 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 132 बच्चे भी शामिल थे। तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा था कि वह पाकि स्तान में आतंकवाद हर हालत में खत्म करेंगे। नवाज शरीफ ने यह भी कहा था कि आतंकियों ने यह हमला, जर्ब-ए-अज्ब के विरोध में किया है।

उन्होंने कहा था कि मैं सोचता हूं कि जब तक इस देश से आतंकवाद का सफाया नहीं हो जाता, दशहतगर्दी के खिलाफ हमारी जंग जारी रहेगी। आतंक के खिलाफ हमें एकजुट होकर लडऩा होगा।

इस तरह के हमलों से देश को टूटना नहीं चाहिए। उसके बाद से यह लग रहा था कि पाकिस्तान सरकार द्वारा आतंकियों को चुन-चुनकर सबक सिखाया जायेगा लेकिन बाद में ढाक के तीन पात की तर्ज पर कोई सार्थक कार्रवाई नहीं हुई तथा पाकिस्तानी हुकूमत द्वारा आतंकियों को भारत के खिलाफ खुलकर इस्तेमाल किए जाने का सिलसिला यूं ही बदस्तूर जारी रहा।

अब जब एक बार पुन: पाकिस्तान में आतंकी हमला हुआ है तथा 60 से अधिक कैडेट्स को अपनी जान गंवानी पड़ी है तो हमें यह कहने में बिल्कुल भी संकोच नहीं हो सकता कि पाकिस्तान अपने कर्मों का ही फल भुगत रहा है। क्योंकि भारत में जब भी कोई आतंकी हमला होता है तो उसमें पाकिस्तान का हाथ होने की ही पुष्टि हमेशा होती है।

फिर देश में आतंकी हमले के बाद जो भी लोग काल कलवित होते हैं चाहे वह किसी भी जाति, संप्रदाय या क्षेत्र के हों उन्हें इस ढंग से मौत के घाट उतार दिए जाने के बाद भारतवासियों का खून खौलना स्वाभाविक है।

आतंकवादी राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान की कुख्यात छवि व भारत विरोधी उसकी मानसिकता ही भारतवासियों द्वारा पाकिस्तान से नफरत किये जाने का सबसे बड़ा कारण है। देशवासियों की पाकिस्तान के प्रति यह नफरत तब तक खत्म नहीं होगी जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद को संरक्षण देना बंद न कर दे।

सुधांशु द्विवेदी

https://www.sabguru.com/gunmen-kill-59-attack-police-academy-pakistani-city-quetta/