नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस आरएम लोढा को इस बात का मलाल है कि मुकदमों के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए शीर्ष न्यायालय में सालों भर सुनवाई की उनकी कोशिश कामयाब नहीं रही।…
न्यायाधीश लोढा का यह दर्द शुक्रवार को उस समय सामने आया जब उनके कार्यकाल के अंतिम दिन संवाददाताओं ने उनसे इस अधूरी रह चुकी इच्छा के बारे में पूछा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मुझे इस बात का बहुत ही मलाल है। मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने मेरे प्रस्ताव को अच्छी तरह समझा नहीं।
उन्होंने अस्पतालों और विभिन्न आपातकालीन सेवाओं के सालोंभर जारी रहने का जिक्र करते हुए कहा कि ऎसा नहीं है कि इन सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों को सालों भर काम करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि सालों भर सुनवाई होने की स्थिति में कामकाज के तौर तरीके नए सिरे से तय किए जा सकते थे, लेकिन यह दु:खद है कि इन पहलुओं पर विचार किए बिना ही उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मुझे लगता है कि लंबित मुकदमों के बोझ को कम करने के लिए 365 दिन सुनवाई करने का एक बेहतर अवसर हमने खो दिया है।