रांची। झारखंड में भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता चुने गए पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने टाटा स्टील में श्रमिक के रूप में अपनी जिन्दगी की पारी शुरू की और राजनीतिक सीढियां चढ़ते चढ़ते वह अब झारखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले पहले गैर आदिवासी वन गए है।
मजदूर राजनीति और जे पी आंदोलन से तपकर निकलने वाले दास झारखंड के उप मुख्यमंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं तथा भाजपा झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष भी रहे है। जमशेदपुर पूर्व से लगातार 1995 से विधायक चुने जाने वाले दास की सांगठनिक क्षमता को देखते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें अपनी टीम में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। झारखंड से भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने वाले वह केवल तीसरे व्यक्ति थे। उनसे पहले कडिया मुंडा और बाबूलाल मरांडी को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने का श्रेय मिला था।
झारखंड में बनने वाली भाजपा की सरकारो में मंत्री रहने का श्रेय दास को हासिल है। राज्य में मंत्री रहते हुए भी बिना सुरक्षा के घूमना तथा लोगों से मिलना उनका शगल रहा है। जमशेदपुर में कमजोर लोगों की लड़ाई की वह अगुवाई करते रहे और जमशेदपुर की समस्याओं को लेकर विधानसभा में लगातार आवाज उठाते रहे। इसी कारण से वह अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं।
दास तीन मई 1955 को जमशेदपुर में पैदा हुए और युवा अवस्था से ही राजनीति में सक्रिय हो गए। उन्हें बिहार विधानसभा का सदस्य रहने का भी गौरव हासिल है। दास की पत्नी का नाम रूक्मणी देवी है और उनकी शादी 11 मार्च 1978 को हुई थी। रूक्मणी देवी का कहना है कि दास क ा मुख्यमंत्री बनना उनकी ईमानदारी और मेहनत का ही परिणाम है।
उन्होंने भालुबासा हरिजन विद्यालय में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की और फिर इसी स्कूल से मैट्रिक परीक्षा में उर्तीण हुए। उन्होंने जमशेदपुर को आपरेटिव कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई पूरी की और फिर इसी कॉलेज से स्नातक विधि की परीक्षा पास की। पढ़ाई पूरी करने के बाद दास ने टाटा स्टील में श्रमिक के रूप में अपनी नई पारी शुरू की और इसके बाद वह राजनीति में सक्रिय हो गए। वैसे तो दास छात्र जीवन से ही सक्रिय राजनीत में रहे और छात्र संघर्ष समिति मे संयोजक की भूमिका निभाते हुए उन्होंने जमशेदपुर में विश्वविद्यालय स्थापना के आंदोलन में भाग लिया।