नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन द्वारा अगला कार्य़काल न संभालने का ऐलान किए जाने के बाद कॉंग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम की पहली प्रतिक्रिया आई है जिसमें उन्होंने रघुराम राजन के इस फैसले को देश के लिए नुकसानदायक करार दिया है।
चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि ऐसे में जबकि रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन का वर्तमान कार्यकाल आगामी चार सितम्बर को पूरा हो जाएगा। यह बेहद दुख और निराशा की बात है कि देश उनकी सेवाओं से वंचित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हालांकि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सरकार में यह कोई आश्चर्य़ की बात नहीं है क्योंकि ये सरकार रघुराम राजन जैसे अर्थशास्त्री के योग्य नहीं है।
वहीं भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने राजन के खुलासे के बाद कहा कि अगर वह जा रहे हैं तो उन्हें चले जाना चाहिए। इसमें कोई बुराई नहीं है कि वह दूसरा कार्य़काल नहीं संभालना चाहते। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों का चयन उनकी लोकप्रियता के आधार पर नहीं किया जा सकता।
दरअसल सुब्रह्मण्यम स्वामी पिछले काफी समय से राजन के खिलाफ बयान देते रहे हैं। यहां तक कि स्वामी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आरबीआई गवर्नर के खिलाफ सीबीआई के अंतर्गत बनाई गई एसआईटी से जांच की मांग भी कर चुके हैं।
स्वामी ने राजन पर आरोप लगाया था कि आरबीआई ने स्माल फाइनेंस बैंक (एसएफबी) को लाइसेंस देने में धांधली की है। स्वामी का कहना था कि सरकारी नीति के तहत जिन संस्थाओं ने बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन किया और उनमें से जिन संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए उनमें से किसी ने भी तय शर्तों को पूरा नहीं किया है। इसके बावजूद इन्हें लाइसेंस दे दिए गए। इससे यह पता लगता है कि लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई है और इससे इरादों पर शक होता है।
स्वामी ने अपने इस पत्र में पी. चिदंबरम पर भी निशाना साधा था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि वित्त मंत्रालय में अब भी कई अधिकारी उनकी पसंद के हैं या करीबी हैं। इस पूरे मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की बू आती है और इसके जरिए नेताओं और नौकरशाहों को लाभ मिलने की शंका है।