नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अपनी दूसरी पारी पर सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा है कि वह सितम्बर में अपने मौजूदा कार्यकाल के समाप्त होने के पश्चात वापस शिक्षा क्षेत्र में लौट जाएंगे।
पिछले कुछ दिनों में राजन के आरबीआई गवर्नर के पद पर कायम रहने पर कुछ अटकलें थीं परन्तु अभी तक उन्होंने इस विषय में टिप्पणी करने से इंकार किया था। अपने बैंक के स्टाफ को एक सन्देश में उन्होंने कहा कि 4 सितम्बर को अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद वह शिक्षा के क्षेत्र में वापस चले जाएंगे।
परन्तु उन्होंने यह भी कहा कि वह इस देश (भारत) की सेवा के लिए सदैव उपलब्द रहेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनका उत्तराधिकारी भारतीय रिज़र्व बैंक को नई ऊंचाईयों तक ले जाएगा।
गौरतलब है कि राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री रहे हैं और पिछले कुछ दिनों में राज्य सभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी के निशाने पर रहे हैं। राजन ने एक वक्तव्य में कहा कि सरकार के साथ विचार विमर्श करने के पश्चात उन्होंने यह निर्णय लिया है।
आरबीआई के कर्मचारियों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा उनका (कर्मचारियों का) मनोबल उपलब्धियों के कारण ऊंचा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार के आर्थिक सुधारों के कारण आने वाले समय में आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी और देश में नौकरियां बढ़ेंगी और लोगों में प्रगति होगी। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनका उत्तराधिकारी बैंक कर्मचारियों के साथ मिलकर देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा।
उन्होंने कहा कि वह अगले दो महीनों में उनके साथ काम करते रहेंगे और बैंक कर्मचारियों के साथ उनका अब तक का सफर अत्यन्त सुखदायी रहा। वह 4 सितम्बर 2013 को डी सुब्बाराव के स्थान पर आरबीआई के 23वें गवर्नर बने थे।
कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब वह रिज़र्व बैंक के गवर्नर बने थे तब देश की मुद्रा स्फीति रोज़ नीचे गिर रही थी। तब भारत को ‘पांच कमज़ोर’ देशों में गिना जाता था।
उन्होंने कहा कि अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने एक कार्यप्रणाली सुझाई थी जिसमें एक नए आर्थिक ढांचे के विषय में कहा गया था। इस नए ढांचे के द्वारा मुद्रास्फीति को नीचे लाने और आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए अनेक सुझाव दिए गए थे। इन सब सुझावों के चलते उन्होंने कहा था कि वह वैश्विक वित्तीय बाजारों द्वारा उत्पादित तूफानी लहरों पर भविष्य के लिए एक पुल का निर्माण करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व का अनुभव हो रहा है कि रिज़र्व बैंक इन सब वादों पर खरा उतरा है। मुद्रा स्फीति इन सब कार्यों के बाद स्थिर है और विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड उंचाई पर हैं। उन्होंने कहा कि जितना उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा था उससे कहीं अधिक उन्होंने करके दिखाया है।
उन्होंने कहा कि वह एक शैक्षणिक हैं और हमेशा यह स्पष्ट कर दिया है कि उनका परम घर विचारों के दायरे में है। अपने तीन वर्ष के कार्यकाल की समाप्ति और शिकागो विश्व विद्यालय से अवकाश की समाप्ति पर यह एक अच्छा समय है कि इसपर विचार करें कि कितना खोया और कितना पाया।