लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सोमवार को रैली का दिन था। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दो प्रमुख दलों के दिग्गजों का सोमवार को प्रदेश में जमावड़ा रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां कानपुर से सूबे में परिवर्तन की हुकांर भरी। वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जौनपुर में जनाक्रोश रैली कर मोदी को नोटबंदी पर घेरने का प्रयास किया।
कानपुर के रेलवे मैदान से मोदी ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोलते हुए इसे झूठ बोलने वाली पार्टी बताया तो जौनपुर में राहुल गांधी आक्रोशित हो उठे। जिले के बीआरपी कालेज मैदान में आयोजित जनाक्रोश रैली के जरिए उन्होंने मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री अमीरों के नेता हैं।
गरीबों का पैसा खींचकर मुट्ठीभर अमीर लोगों को फायदा पहुंचा रहे हैं। मोदी ने कांग्रेस को अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता का विरोधी भी बताया। कहा कि 70 साल तक कांग्रेस की गलत नीतियों के चलते मध्यम वर्ग के लोगों का शोषण होता रहा और गरीबों का हक मारा गया।
मोदी ने कहा कि नोटबंदी के फैसले ने बड़े-बड़े लोगों को औकात में ला दिया। अपने काले धन को सफेद करने के लिए गरीबों के चौखट पर मंडराने लगे। प्रधानमंत्री ने जहां नोटबंदी को अमीरों गरीबों के बीच पड़ी खाई को पाटने वाला बताया।
वहीं राहुल ने आरोप लगाया कि नोटबंदी के बहाने मोदी ने देश के 99 प्रतिशत गरीबों का बिना पूछे खून निकाल लिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री अमीरों का कर्ज माफ कर रहे हैं लेकिन किसानों के हित में कुछ भी नहीं कर रहे हैं।
भाजपा की रैली में जहां प्रधानमंत्री के अलावा केंद्र सरकार के कई मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता जुटे थे। वहीं कांग्रेस की रैली में राहुल के अलावा मुख्यमंत्री प्रत्याशी शीला दीक्षित, प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव सन्निकट है। चुनाव आयोग कभी भी चुनाव के लिए तिथियों की घोषणा कर सकता है। आयोग के अधिकारी आज से चार दिन तक लगातार प्रदेश में मंडलवार चुनाव तैयारियों की समीक्षा शुरु कर दी।
इस बीच चुनाव को लेकर प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी अपने चुनावी अभियान तेज कर दिये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश में अब तक छह बड़ी रैली कर चुके हैं। दो जनवरी को वह राजधानी लखनऊ में भी महारैली करने आ रहे हैं। कांग्रेस ने रैलियों के अलावा कई यात्राएं भी निकाल चुकी है।
भाजपा पिछले माह से चार परिवर्तन यात्राएं निकाल रही है। प्रदेश की सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी और बसपा ने भी रैलियों के माध्यम से प्रदेश को मथना शुरु कर दिया है। उम्मीद है कि चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश में फरवरी में चुनाव करा सकता है।