बर्कले। विदेशी धरती से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वह 2019 के आम चुनावों में पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदरवार बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस फैसले को पार्टी द्वारा अंतिम तौर पर मंजूरी दी जानी है।
अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा वंशवाद को लेकर हमला किए जाने पर राहुल गांधी ने कहा कि भारत में सभी राजनीतिक दलों में यह समस्या है, बल्कि देश में ऐसा ही इस चल रहा है।
एक विश्वविद्यालय में सोमवार की रात बातचीत में यह पूछे जाने पर कि क्या वह अगले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के लिए तैयार हैं, इस सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि मैं इसके लिए पूरी तरह से तैयार हूं।
यह पहली बार है जब राहुल गांधी ने सार्वजनिक तौर पर पुष्टि की है कि वह शीर्ष पद के लिए पसंद बनने के लिए तैयार हैं।
राहुल गांधी राजनेताओं, वैश्विक विचारकों व प्रवासी भारतीयों से बातचीत करने के लिए दो सप्ताह के अमेरिका के दौरे पर हैं। वे विश्वविद्यालय में छात्रों से बात कर रहे थे, जहां उनके दादा व भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1949 में भाषण दिया था।
कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के पसंद के सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि उनकी तरफ से इसे सार्वजनिक करना उचित नहीं है, क्योंकि पार्टी को इसे मंजूरी देना है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमारी पार्टी कार्य करती है। हमारी एक आंतरिक प्रणाली है जिसमें हम कुछ निश्चित प्रतिनिधियों को चुनते हैं, जो फैसले लेते हैं। हमारे पास एक संगठनात्मक चुनावी प्रक्रिया है और यह प्रक्रिया वर्तमान में जारी है।
उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह कहना कि यह मेरा फैसला है, उचित नहीं होगा। यह फैसला कांग्रेस पार्टी को लेना है।
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री बनने का आपको मौका मिला तो आप बनेंगे इस पर राहुल गांधी ने पुष्टि में सिर हिलाते हुए कहा कि हां, जरूर।
वंशवाद की राजनीति के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने कहा कि देश के ज्यादातर हिस्से में ऐसा ही है। भारत में ऐसा ही है। उन्होंने कहा कि वंशवाद की राजनीति की समस्या सभी राजनीतिक दलों में है।
अखिलेश (समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव के बेटे), स्टालिन (डीएमके के एम. करुणानिधि के बेटे), अभिषेक बच्चन (बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के बेटे) ये सभी वंशवाद की परंपरा के उदाहरण हैं। पूरा देश ऐसे ही चल रहा है।”
राहुल ने ‘इंडिया एट 70 : रिफ्लेक्शन्स ऑन द पाथ फॉरवर्ड’ विषय पर छात्रों से कई मुद्दों पर बात की। इसमें कांग्रेस के 2014 में आम चुनावों में पार्टी की हार पर भी बात की गई, जिसमें पार्टी को अब तक लोकसभा में सबसे कम सीटें मिली हैं।
उन्होंने स्वीकार किया कि 2012 के करीब कांग्रेस में घमंड आ गया और उसने लोगों से संवाद करना बंद कर दिया, जिससे पार्टी को बीते चुनावों में नुकसान उठाना पड़ा।
राहुल गांधी ने संप्रग सरकार की मनरेगा (महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) व जीएसटी का उदाहरण देते हुए कहा कि पार्टी के पुनर्निर्माण के लिए हमें एक दृष्टि तैयार करने की जरूरत है जिससे हम आगे बढ़ सकते हैं। ज्यादातर भाजपा सरकार वही कर रही है, जिसे कभी हमने कहा था।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की आलोचना की और कहा कि सरकार की नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू की गई जीएसटी जैसी आर्थिक नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था को भारी क्षति पहुंची है।
राहुल गांधी ने सरकार के 500 व 1,000 रुपए के नोटबंदी के फैसले को अर्थव्यवस्था में गिरावट का कारण बताया और कहा कि इससे हमें जीडीपी में 2 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है।
राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा में हजार लोगों को कंप्यूटरों पर बैठाकर लोगों को मेरे बारे में बताया जा रहा है। यह एक जबरदस्त मशीन है, वह पूरे दिन मेरे खिलाफ प्रचार करते हैं, वे कहते हैं कि मैं अनिच्छा से राजनेता बना हूं और यह अभियान उन सज्जन द्वारा चलाया जा रहा है जो हमारे देश को चला रहे हैं।
हालांकि राहुल ने स्वीकारा की मोदी उनसे बेहतर वक्ता हैं। राहुल ने कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा बढ़ गई है।
राहुल ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर भीड़ द्वारा हिंसा और गोरक्षा के नाम पर की जाने वाली हिंसा को लेकर भी निशाना साधा।
उन्होंने कन्नड़ पत्रकार और कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या की ओर इशारा करते हुए कहा कि निर्भीक पत्रकारों की हत्या की जा रही है।