नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी करीब दो महीनों के निजी अवकाश के बाद गुरुवार को दिल्ली लौट आए हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने उनपर चुटकी लेते हुए कहा कि आप अपने कर्तव्यों से संकोच नहीं कर सकते।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि राहुल लौट आए हैं। मुझे इसमें कोई शक नहीं कि नेतृत्व प्रदान करने के लिए वह न केवल सक्रिय उपाय कर रहे हैं, बल्कि प्रतिबद्धता व गतिशीलता के साथ हैं।
छुट्टी के दौरान राहुल के ठिकाने को लेकर अलग-अलग अटकलें लगाई जा रही थी। कुछ लोगों ने कहा कि वे म्यांमार में हैं, कुछ ने कहा थाईलैंड में तो कुछ ने उनके वियतनाम में होने की बात कही।
हवाईअड्डा प्राधिकरण के एक स्रोत ने कहा कि वह थाई एयरवेज के विमान टीजी 323 से बैंकॉक से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुबह 10.45 बजे उतरे।
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के एक अधिकारी ने कहा कि राहुल गांधी (44) गुरुवार दोपहर अपने आवास पर पहुंचे, जहां उनकी मां सोनिया गांधी तथा बहन प्रियंका पहले से ही मौजूद थीं।
अधिकारी के मुताबिक, उनके आने की खुशी में राहुल के 12, तुगलक रोड स्थित आवास के बाहर पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने पटाखे छोड़े व खुशियां मनाई।
एक टेलीविजन चैनल में राहुल गांधी को एक वाहन में बैठे दिखाया गया, जिसके बगल में एसपीजी कमांडो खड़े थे। वहीं भाजपा उन पर चुटकी लेने से नहीं चूकी।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राजनीति में पार्ट टाइम जैसी कोई चीज नहीं होती। यह फुल टाइम जॉब है। उन्होंने कहा कि आप उन कर्तव्यों से संकोच नहीं कर सकते, जिनका आपना वादा किया है।
राहुल 19 अप्रेल को राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस द्वारा कथित किसान विरोधी नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ एक किसान मजदूर जनसभा को संबोधित करेंगे। रामलीला मैदान में जनसभा को लेकर राहुल शुक्रवार को पार्टी नेताओं तथा किसान नेताओं के साथ एक बैठक करेंगे।
वापसी के बाद राहुल गांधी को अप्रेल में एआईसीसी की बैठक के दौरान पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने की उम्मीद थी, लेकिन सत्र को बढ़ाकर जुलाई के बाद कर दिया गया है।
पार्टी कार्यकर्ता जगदीश शर्मा ने हालांकि संवाददाताओं से राहुल गांधी के निवास के बाहर कहा कि उन्हें 19 अप्रेल के बाद जल्द ही पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाएगा।
मीडिया के एक धड़े द्वारा यह खबर फैलाए जाने के बाद कि राहुल बैंकॉक में हैं, शर्मा ने कहा था कि वे उत्तराखंड में हैं। राहुल गांधी की अनुपस्थिति को लेकर उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े हो गए थे। यहां तक की पार्टी की वरिष्ठ नेता व दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी राहुल की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए थे।
साल 2014 में हुए आम चुनाव से लेकर दिल्ली विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस को पांच बार चुनावी मैदान में शिकस्त मिल चुकी है। बिहार विधानसभा उपचुनाव के पहले पार्टी को पुनर्जीवित करना पार्टी के लिए एक बेहद कड़ी चुनौती है। कांग्रेस उपाध्यक्ष बीते 23 फरवरी से अवकाश पर चले गए थे, जब संसद का बजट सत्र शुरू हुआ था।