रतलाम। रेल कामगार नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार मजदूर विरोधी सरकार है, जनविरोधी सरकार है। यह कार्पोरेट घरानों एवं उद्योगपतियों के ईशारों पर चल रही है।
पिछली सरकार और वर्तमान सरकार की आर्थिक नीतियों में कोई अंतर नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा ऐसा कुचक्र चलाया जा रहा है, जिससे रेलवे का निजीकरण आने वाले समय में निश्चित लगता है, जिसका व्यापक विरोध हो रहा है।
ट्रेड यूनियनें तो इसका विरोध कर रही हैं, हम जनता के बीच भी जाने वाले हैं, ताकि निजीकरण के विरोध में जनमाहोल तैयार हो और यह विरोध जनआंदोलन का स्वरूप ले। हमने निर्णय लिया है कि 23 नवंबर को रेलवे का चक्काजाम होगा, इसके पूर्व 13 व 14 अक्टूंबर को सिक्रेटबेलेट के जरिए रेल कामगारों की राय जानी जाएगी, ताकि रेल हड़ताल को व्यापक स्वरुप दिया जा सके।
यह बात रेलवे मेन्स फेडरेशन के अध्यक्ष तथा जेसीएम के सचिव शिवगोपाल मिश्रा, रेलवे मेन्स फेडरेशन के मंत्री जे.आर.भोसले तथा आर.सी. शर्मा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही। रेल कामगार नेताओं ने बताया कि हमारा संगठन गैर राजनीतिक संगठन है, जिसमें सभी विचारधाराओं के लोग शामिल है।
11 सूत्रीय मांगों को लेकर हमारा आंदोलन विगत कई वर्षों से चल रहा है, जिसमें निजीकरण का विरोध मुख्य है। सरकार की कोई दिलचस्पी,समझोते की नजर नहीं आती। कई बार चर्चाओं का दौर चला है। यदि 23 नवंबर तक समझोता नहीं होता है और सरकार हमारी बात पर गोर नहीं करती है तो रेल हड़ताल इस बार नहीं टलेगी।
रेलवे अपने बल पर संचालित होती है
उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है,जिसकी 22 हजार रेलगाड़ियां है। लाखों यात्री प्रतिदिन सफर करते है, 68 हजार किलोमीटर प्रतिदिन यह ट्रेनें दौड़ती है, हजारों रेल कामगारों ने जनसेवा के इस माध्यम में सेवा करते-करते अपनी जानें दे दी है। यहीं नेटवर्क ऐसा है जो अपने बल पर संचालित हो रहा है। प्रयोग में आने वाले सारे संसाधन का स्वयं निर्माण रेलवे करती है।
सरकार का कुछ भी पैसा इसमें नहीं लगता, जबकि सड़क सहित अन्य यातायात के साधनों में सरकार अनुदान देती है। यहां तक की 25 हजार करोड़ रुपया जो विभिन्न रियायती यात्राओं के नाम पर खर्च होता है उसकी पूर्ति भी सरकार नहीं करती। स्थिति यह है कि पैसेंजर ट्रेनों में 50 पैसा प्रतिकिलोमीटर खर्च होने पर रेलवे को केवल 15 पैसा मिलता है और मेल ट्रेनों में 38 पैसा खर्च होता है और केवल 22 पैसे ही वसूल हो पाता है। उसके बावजूद भी रेलवे घाटे में नहीं है तो फिर निजीकरण क्यों ?
निजीकरण का असर रेलसेवाओं पर होगा
रेल उद्योग को सरकार उद्योगपतियों को सौंपना चाहती है यदि ऐसा होता है तो रेल उपभोक्ताओं को ही परेशानी ज्यादा होगी। रेल कामगारों को कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि उन्हें तो काम के बदले वेतन मिलेगा,लेकिन रेल सेवाएं महंगी होगी और सुविधाएं भी कम मिलेगी।
हम एफडीआई के विरोध में है
रेल कामगार नेताओं ने कहा कि हम रेलवे में एफडीआई को लागु होने के विरोध में है। हमने एटमिक एनर्जी में भी एफडीआई का विरोध किया है, क्योंकि इससे सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है,लेकिन प्रधानमंत्री चाहते है कि यह लागू हो। उन्होंने संसद में रेल बजट को पेश नही करने का भी विरोध किया इससे सरकार का काम आसान हो जाएगा।
आजादी के बाद पटरियों का जाल कम बिछा
उन्होंने यह भी बताया कि आजादी के बाद जिस तेजी से रेलवे के क्षेत्र में काम होना था नहीं हो पाया। आजादी के समय 58 हजार किलोमीटर रेल लाईन बिछी थी। आजादी के बाद मात्र 8-10 हजार कि.मी. ट्रेनों का विस्तार ही हुआ है, इसके पीछे भी राजनीति कारण रहे है और सरकार की बदनियती भी कारण रही है। यदि सरकार रेलवे नेटवर्क पर ध्यान देती तो आज इसका जाल देशभर में ओर तेजी से फैलता,क्योंकि यहीं माध्यम ऐसा है जो जनता को सस्ता सफर दे सकता है।
रेल उपभोक्ताओं के बीच जाने का निर्णय
रेलवे के निजीकरण के विरोध में सारी ट्रेड यूनियनें एक मत में है, देशभर में विभिन्न चरणों में इसके लिए आंदोलन भी चले है और चल रहे है। रेल हड़ताल के पहले रेल उपभोक्ताओं के बीच जाने के लिए हमने व्यापक कार्यक्रम बनाया है। सेमिनार आयोजित होंगे, जिसके माध्यम से जनता को रेल निजीकरण से होने वाले नुकसान से अवगत कराया जाएगा। हम चाहते है निजीकरण का यह मुद्दा जन आंदोलन का स्वरुप ले।
हड़ताल हमारा लक्ष्य नहीं
हड़ताल हमारा लक्ष्य नहीं है। हड़ताल पर हम जाना नहीं चाहते लेकिन पूर्ण रुप से संवाद हीनता की स्थिति निर्मित होने के कारण हम रेल हड़ताल के लिए मजबूर हो गए है। इसके पूर्व रेलकर्मचारियों की राय जानने के लिए हमने 13 व 14 अक्टूंबर को सिक्रेटबेलेट के जरिए राय जानने का निर्णय भी लिया है। पूर्व में भी हमने यह विचार जाने थे लेकिन बाद में रेल हड़ताल टल गई। उस समय भी रेल कर्मचारी हड़ताल के पक्ष में थे।
रेल कामगार नेताओं ने रेल कर्मचारियों की 11 सूत्रीय मांगों पर विस्तार से प्रकाश डाला। यह नेता रेलवे एम्पलाईज यूनियन के युवा एवं महिला सम्मेलन में शामिल होने के लिए रतलाम आए थे। पत्रकार वार्ता में रेलवे एम्पलाईज यूनियन के सहायक महामंत्री गोविन्दलाल शर्मा, हिन्दू मजदूर सभा के उपाध्यक्ष हरिओम सूर्यवंशी, मंडल मंत्री श्यामबाबू श्रीवास्तव तथा मंडल अध्यक्ष मनोहर पचौरी उपस्थित थे।