नई दिल्ली। नीति आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय को सलाह दी है कि वह रेल बजट को अलग से पेश करने के बजाये आम बजट के साथ ही पेश करे।
आयोग ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट पीएमओ को सौंप दी है और पीएमओ ने इसे रेलवे बोर्ड को भेज दिया है। रेलवे बोर्ड यदि इसे अपनी सहमति देता है तो दशकों पुरानी परंपरा समाप्त हो जाएगी।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में आम बजट से पहले अलग से प्रस्तुत होने वाले रेल बजट को गैर जरूरी बताते हुए कहा कि इसे आम बजट में ही शामिल किया जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नई ट्रेनें जरूरत के मुताबिक बीच में भी चलाई जा सकती है और किराया तय करने के लिए संसद पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।
आयोग के अनुसार रेल बजट एक राजनीतिक मंच बनकर रह गया है जिससे भारतीय रेल पर अतिरिक्त प्रभाव पड़ा है।
रेल बजट खत्म होने पर सरकार में नौकरशाही और राजनीतिक प्रक्रिया में कमी आएगी, जिससे रेलवे को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी, क्योंकि वोट बैंक के लिए लोकलुभावन घोषणाएं समाप्त हो जाएंगी।