कानपुर। रेलमंत्री ‘प्रभु‘ के खिलाफ कानपुर के सिविल कोर्ट में परिवाद दाखिल हुआ है, चैकिए मत यह ओ माॅय गाॅड की फिल्म नहीं बल्कि हकीकत है।
सुरेश प्रभु जो वर्तमान समय में रेलमंत्री है। इनके खिलाफ एक सख्स ने रेल अधिनियम 1989 के तहत नियम तोड़ने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में परिवाद दाखिल किया है, जो रेल नियम के अनुसार एक अपराध है।
बताते चलें कि सोमवार को रेलमंत्री सुरेश प्रभु मेरठ स्टेशन से पहले बिना ट्रेन रुके अपनी जान जोखिम में डालकर चलती ट्रेन से उतर गए। जबकि अगर कोई भी व्यक्ति चलती ट्रेन में चढ़ता या उतरता है तो रेल अधिनियम 1989 की धारा 146 और 156 के तहत अपराध है।
रेलमंत्री द्वारा ऐसा करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। मीडिया में चली खबरों को आधार बनाते हुए बादशाहीनाका निवासी अधिवक्ता शरद त्रिपाठी ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु के खिलाफ सीएमएम कोर्ट में परिवाद दाखिल किया।
अधिवक्ता का कहना है कि रेलमंत्री प्रभु द्वारा तोडे गए नियम के बाद रेल प्रशासन कुछ भी न करते हुए चुप्पी साधे हुए है अगर ऐसे ही मंत्री नियम तोड़ते रहेंगे तो आम जनता फिर क्या करेगी।
क्या यह नियम कानून अधिकारियों व सत्ताधारियों नेताओं को छोड़कर आम जनता के लिए ही बने हुए है। कोर्ट ने उनकी अपील स्वीकार कर 27 जून को अगली सुनवाई करने का फैसला लिया है।