वाराणसी। जीवनदायिनी गंगा ने रौद्र रूप धारण कर खतरे के निशान (लाल निशान) को पार कर लिया है और वर्ष 78 के उच्चतम बाढ़ बिंदु की ओर बढ़ चली है।
बीती रात लगभग एक बजे गंगा खतरे के निशान 71.26 मीटर को पार कर शुक्रवार की पूर्वांह 71.50 मीटर पर पहुंच गईं। वर्ष 1978 में आई भयावह बाढ़ में गंगा का जलस्तर 73.91 तक पहुंच गया था।
केंद्रीय जल आयोग के कंट्रोल रूम के अनुसार गाजीपुर में गंगा खतरे के निशान 63.770 मीटर से पौन मीटर ऊपर बह रही है। चंदौली में गंगा खतरे के निशान से 46 सेमी नीचे 70.70 मीटर पर है।
बलिया में गंगा के साथ ही टोंस और मगई नदी भी उफान पर है। आजमगढ़ में घाघरा नदी भी लाल निशान पार कर गई है।
शहर के नगवां सामनेघाट मदरवां, सामने घाट से लेकर सूजाबाद ग्रामीण अंचल ढाब क्षेत्र के अजांव, बरथरा खुर्द, मठिया, हरिहरपुर, धौरहरा, भगवानपुर, कुर्सिया, टेकुरी लक्खी शिवसेनपुर, रजवाड़ी आदि गांवों में गन्ना, बाजरा, उर्द, धान, तिल की हजारों एकड़ फसल बाढ़ के कारण बर्बाद हो गई हैं।
कई गांवों का आपस में संपर्क कट गया है। वहीं रमचंदीपुर, गोबरहा, मुस्तफाबाद, मोकलपुर, शिवदशा, जाल्हूपुर, भगतुआ, लूठा सहित अन्य गांवों में कमरभर से अधिक पानी घुसने के बाद लोग सुरक्षित ठिकानों पर शरण लिए हुए है।
इसके लिए नाव की मदद मांगी जा रही है। वहीं शहर के अस्सी नगवा में सड़क पर नाव चलने लगी है। अस्सी के गोयनका पाठशाला में बना बाढ़ राहत शिविर ठसाठस भर गया है।
बावजूद शिविर में लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। अस्सी घाट मार्ग बंद हो गया है शीतला घाट वाली सड़क पर नाव चलने लगीं है।
इस क्षेत्र के मकानो के पहले तल में पानी भरने के बाद सैकड़ों परिवार छतों पर शरण लिए हुए है। घरों से गृहस्थी समेट कर लोग रिश्तेदारों, किराए के घरों में भी जा रहे हैं। यहां रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए पीड़ित परिवारों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
गंगा के जलस्तर में बढ़ाव के कारण शव दाह में भी दिक्कत आने लगी है। हरिश्चन्द्र घाट पर पानी ही पानी नजर आ रहा है और गलियों में शवदाह हो रहा है। मणिकर्णिका घाट पर भी लगातार बढ़ रहे पानी के कारण भी दिक्कत हो रही है।
लकड़ियों के भीग जाने के कारण भी शवों को जलाने में काफी समय लग रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर विद्युत शवदाह गृह जलमग्न हो गया है।
उफनाई वरूणा के चलते तटवर्ती क्षेत्र हुकुलगंज, नईबस्ती, नक्खीघाट, ढेंलवरिया, चैकाघाट, अमरपुर मढ़िया, शैलपुत्री, सरैया, कोनिया, पुराना पुल, कज्जाकपुरा सहित कई इलाकों में मकान डुबने लगे है। लोग घर छोड़ दूसरी जगह शरण लिये हुए है।
बड़ी संख्या में लोग रेलवे ट्रैक पर आकर शरण लिए हुए हैं। भारी बरसात में लोग किसी तरह बरसाती और टेण्ट आदि लगाकर जीवन गुजर बसर करने को मजबूर हैं। बाढ़ के चलते सबसे बड़ी दिक्कत पेयजल की हो गई है।
हुकुलगंज तकिया के गूड्डू यादव, सोनू सोनकर, प्रदीप सोनकर, शंकर कन्नौजिया, प्रभावती भारती, तारा कन्नौजियां ने बताया कि बाढ़ के चलते सबसे बड़ी दिक्कत पेयजल के साथ खाने पीने की हो गई है। बच्चो के दूध और खाने के लिए ब्रेड का इंतजाम भारी हो रहा है।