लखनऊ। कांग्रेस ने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अहम घोषणा करते हुए दलबदलू राज बब्बर को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है।
कांग्रेस की ओर से राज बब्बर को ये पद सौंपने के पीछे उनकी पैन इंडिया छवि को बताया जा रहा है। इससे पहले यूपी अध्यक्ष के लिए पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की ओर से ब्राहमण चेहरे की मांग हो रही थी।
पूर्व सांसद राजेश मिश्र, राजारामपाल और इमरान मसूद को वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी नेतृत्व ने निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डा निर्मल खत्री को स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया है।
राज बब्बर और अन्य पदाधिकारियों के नाम की घोषणा कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री जनार्दन द्विवेदी ने दिल्ली में मंगलवार शाम को की।
राजबब्बर को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। साथ ही वह साफ सुथरी छवि के भी हैं। बशर्ते दलबदलू जरूर हैं। पदाधिकारियों के नाम की घोषणा होने के बाद प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने बताया कि राज्य में होने जा रहे आगामी विधानसभा चुनाव में कोई न कोई मुख्यमंत्री चेहरा अवश्य होगा।
गौरतलब है कि राज बब्बर वर्तमान में उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य हैं। वह तीन बार उत्तर प्रदेश से लोकसभा सदस्य भी रहे हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराया था।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अंतिम समय में राज बब्बर और संजय सिंह में मुकाबला था। इसके बाद गुलाम नबी आजाद ने राज बब्बर का नाम फाइनल कर सोनिया गांधी के पास भेज दिया। इससे पहले जतिन प्रसाद, डॉ. राजेश मिश्र का नाम भी इस रेस में चल रहा था।
राज बब्बर का राजनीतिक सफर
फिल्म अभिनेता रहे राज बब्बर ने 1989 में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के जनता दल से जुड़कर राजनीतिक पारी शुरू की थी। इसके बाद वह सपा में शामिल हो गए थे। वर्ष 1994 से 1999 तक सपा के टिकट पर सांसद रहे। वर्ष 2006 में पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में उन्हें समाजवादी पार्टी से निलंबित कर दिया था।
इसके बाद साल 2008 में वह कांग्रेस में शामिल हुए। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और सांसद चुने गये। 2009 के लोकसभा चुनाव में राजबब्बर ने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराकर राजनीतिक खलबली मचा दी थी। वहीं साल 2014 का लोकसभा चुनाव उन्होंने गाजियाबाद से लड़ा था लेकिन वह भाजपा के जनरल वीके सिंह से पांच लाख 67 हजार वोटों से हार गए थे।