जयपुर। राजस्थान में एक अतिक्रमित भूमि पर बने मंदिर को ढहाने के बाद फैले तनाव के मद्देनजर शांति बनाए रखने के लिए कुछ गांवों में अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है।
तर्सिग्दा में ग्रामीणों और प्रशासन के बीच झड़प के बाद राजसमंद जिले के विभिन्न गांवों में पथराव की खबरें सामने आई थीं। मंगलवार रात एक कार में और दुकान में आग लगा दी गई, जो जलखर खाक हो गई।
प्रशासन ने बुधवार को ग्रामीणों को नए सिरे से वार्ता के लिए बुलाया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की स्थिति नियंत्रण में है और ग्रामीणों को प्रशासन से कोई मतभेद नहीं है।
जिला कलेक्टर पीसी बेरवाल ने कहा कि ग्रामीणों को सूचित किया गया है कि यदि वे इस स्थान पर एक मंदिर बनाना चाहते हैं, तो उन्हें उचित नियमों का पालन करना होगा और ऐसा लगता है कि उन्होंने भी यही समझा है।
बेरवाल ने बताया कि तर्सिग्दा के ग्रामीणों ने मंदिर में एक प्रतिमा रखी थी, जिसे निकालकर सोमवार रात मंदिर को ढहा दिया गया, क्योंकि वह सरकारी जमीन पर बना था।
उन्होंने कहा कि मंदिर अतिक्रमित जमीन पर बना हुआ था, इसलिए हमें उसे गिराना था। हालांकि, इस प्रक्रिया से ग्रामीणों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
बेरवाल ने कहा कि मंगलवार शाम उन्होंने शांतिपूर्ण और चुपचाप तरीके से जुलूस निकाला। वे बड़ी संख्या में कलेक्टर परिसर के बाहर इकठ्ठा हुए और मंदिर में दोबारा प्रतिमाओं को स्थापित करने की मांग की। साथ ही उन्होंने इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा है।
उन्होंने कहा कि इस बीच, कुछ बदमाशों ने गांव जाते वक्त रास्ते में भड़काऊ नारे लगाने शुरू कर दिए और उनमें से कुछ ने गांव में तनाव की स्थिति पैदा करने के लिए पथराव का सहारा लिया।
अधिकारी ने कहा कि स्थिति उस वक्त खराब हो गई, जब गांव के एक स्कूल के बाहर खड़ी गाड़ी में आग लगा दी गई। इसके तुरंत बाद, ककरोली में बदमाशों ने एक दुकान को तबाह कर दिया।
उन्होंने ने कहा कि पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन लोगों को शांति और सदभाव भंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा, संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त बलों को सख्त निगरानी रखने के लिए तैनात किया गया।
बेरवाल ने कहा कि आगे की जांच के लिए पता लगाया जा रहा है कि क्या बाहरी ताकतों की मदद से तनाव बढ़ाया जा रहा है। हमने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि इस तरह की एक छोटी-सी घटना तनाव को बढ़ा सकती है।
उन्होंने कहा कि स्थिति का जायजा लिया जा रहा है, ताकि यह तय किया जा सके कि आगे के लिए अतिरिक्त बलों की वहां जरूरत है या नहीं।