जयपुर। राजस्थान में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में स्थापित हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया पर सरकार ने रोक लगा दी है। सरकार के इस रवैये के चलते छात्रों और विश्वविद्यालय प्रबंधन में आक्रोश है।
रोक भी प्रवेश की अंतिम तिथि से ठीक एक दिन पहले लगाई गई। छात्रों ने सरकार के फैसले को राजनीति से प्रेरित और उनके भविष्य को अंधकार में डालने वाला बताया। शिक्षा जगत में भी प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगने के बाद सवाल उठने लगे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2012 में हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यायल जयपुर में खोला था। इसके लिए सरकार ने अस्थाई भवन के लिए जमीन उपलब्ध कराई और सूचना केन्द्र में प्रशासकीय कार्यलय खोला गया। गहलोत ने अपने करीब पत्रकार सन्नी सेबेस्टियन को इसका कुलपति बनाया गया। साथ कुछ प्रोफेसरों की नियुक्तियां भी सरकार ने की थी। अल्प समय में विवि दूसरे विवि की तुलना में अच्छी तरक्की की।
2013 में भाजपा जीती और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनी। नई सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस के अंतिम छह में हुए फैसलों की समीक्षा के लिए पांच सदस्यों वाली मंत्रिमंडलीय उप समिति बनाई। इस कमेटी ने पत्रकारिता विवि को अनुपयोगी बताते हुए सरकार से इसे बंद करने की सिफारिश की थी, इस पर कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया जाना है।
मंत्रिमंडलीय उपसमिति का निर्णय आने के बाद जब विरोध तेज हुआ था तो उच्च शिक्षामंत्री कालीचरण सराफ ने विधानसभा में आश्वासन दिया था कि उपसमिति का निर्णय आया है। विवि को बंद करना है या नहीं इसका फैसला तो सरकार करेगी। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से विश्व को अप्रेल में एक पत्र भेजा गया। इसमें कहा गया विवि कोई भी नए पाठ्यक्रम शुरू नहीं करे। फिलहाल विवि में चार पाठ्यक्रम संचालित है।
विवि ने करीब नए सत्र के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी थी। प्रवेश की अंतिम तारीख 8 जुलाई थी, ठीक इसके एक दिन पहले उच्च् शिक्षा विभाग की ओर से पत्र भेजा गया। इसमें कहा गया कि विवि नए सत्र में प्रवेश नहीं दे। क्योंकि केबिनेट की बैठक में उपसमिति की सिफारिश को रखा जाएगा और हो सकता सरकार विवि को बंद कर दे।
विवि के कुलपति सन्नी सेबेस्टियन के मुताबिक उन्होंने मंत्रिमंडलीय उपसमिति के सदस्यों को चिट्ठी लिखी है। इसमें सरकार से विवि में प्रवेश प्रक्रिया नहीं रोकने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि अभी विवि रिव्यू में हैं, ऐसे में प्रवेश प्रक्रिया रोकना उचित नहीं है।