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जयपुर। राजस्थान में अपराध रोकने के लिए जिम्मेदार पुलिस हथियारों की कमी का रोना तो रोती है, लेकिन हालत यह है कि पैसा होने के बावजूद इसे खर्च नहीं किया जाता।
राजस्थान पुलिस को केन्द्र सरकार ने पिछले पांच वर्ष में आधुनिक हथियार खरीदने के लिए 44 करोड रूपए से ज्यादा की राशि दी, लेकिन पुलिस ने इसमें से सिर्फ 19.82 करोड रूपए खर्च किए।
राजस्थान पुलिस की इस लापरवाहीपूर्ण कार्यप्रणाली का जिक्र नियंत्रक व महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट में किया गया है।
वर्ष 2009 से 2014 के बीच केन्द्र सरकार ने आधुनिक हथियार ,खरीदने के लिए राजस्थान पुलिस को 44.44 करोड रूपए आवंटित किए, लेकिन पुलिस ने मार्च 2014 तक सिर्फ 19.82 करोड रूपए के हथियार खरीदे।
जबकि इसी अवधि में पुलिस को 15 हजार 884 आधुनिक हथियारों की जरूरत थी, लेकिन पुलिस ने 4956 यानी जरूरत के मुकाबले सिर्फ 31 प्रतिशत हथियारों के ऑर्डर दिए और इनमें से भी पुलिस को मार्च 2014 तक सिर्फ 3962 यानी 25 प्रतिशत हथियार ही मिले।
पुलिस ने मार्च 2014 तक जो 3962 हथियार खरीदे उनमें से 2350 यानी 59 प्रतिशत पुलिस के सैंट्रल स्टोर में ही पडे रह गए।
कैग ने 35 पुलिस स्टेशनों की जांच की तो सामने आया कि इन स्टेशनों में 1227 हथियारों की जरूरत थी, जबकि इनके पास सिर्फ 309 हथियार थे यानी जरूररत के मुकाबले सिर्फ 25 प्रतिशत हथियार फील्ड में थे। कैग की आपत्ति के बाद पुलिस ने तीन माह में सभी हथियार वितरित कर दिए।
पुलिस अपने जवानों की सुरक्षा के प्रति भी गम्भीर नहीं रही। विभिन्न आंदोलनों के दौरान पुलिस को अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट, लाठी,शील्ड, बॉडी प्रोटेक्टर आदि की जरूरत होती है। कैग ने जांच में जिन 35 पुलिस स्टेशनो की जांच की उनमें 2772 ऐसे उपकरणों की जरूरत थी, जबकि इनके पास सिर्फ 422 यानी 15 प्रतिशत ही सुरक्षा उपकरण थे।