जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विशेष पिछडा वर्ग आरक्षण अधिनियम 2015 को असंवैधानिक घोषित कर दिया।
मालूम हो कि न्यायाधीश मनीष भंडारी व जीके रांका की खंडपीठ ने 22 मई को सुनवाई के बाद उक्त फैसले को सुरक्षित रख लिया था।
कैप्टन गुरविंदर सिंह द्वारा याचिका दायर कर विशेष पिछडा वर्ग आरक्षण अधिनियम 2015 को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि आरक्षण किसी भी स्थिति में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। और उच्च न्यायालय ने इन्द्रा साहनी मामले में यही निर्धारित किया है।
उच्च न्यायालय के इसरानी आयोग की सिफारिशों को भी खारिज करते हुए कहा है कि आयोग की रिपोर्ट परस्पर विरोधाभासी है। आयोग ओबीसी की 85 जातियों में से 25 जातियों को पिछडा मानता है परंतु उन्हें विशेष पिछडा वर्ग में शामिल नहीं किया गया है।
राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट में करेगी अपील
सरकार ने विशेष पिछड़ा वर्ग आरक्षण मामले में शुक्रवार को राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के संकेत दिए हैं। विधि मंत्री राजेन्द्रसिंह राठौड़ ने कहा कि फैसले की प्रमाणित प्रति मिलने के बाद उसका अध्ययन किया जाएगा। विस्तृत अध्ययन कर सरकार आगे अपील में जाएगी।
इस मामले में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी ने कहा आरक्षण बिल को बचाने के लिए न्यायिक प्रकिया अपनाई जाएगी। साथ ही नौंवी अनुसूची में शामिल करने के लिए भी सरकार प्रयास कर रही है।