जयपुर। राजधानी जयपुर की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला में पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान बड़ी संख्या में गायों की मौत पर गुरूवार को राजस्थान उच्च न्यायालय ने गंभीर चिंता जताते हुए जिला प्रशासन की कार्यवाही पर सवालिया निशान लगाए।
इस मामले में पिछले दिनों कुछ समाचार पत्रों में छपी खबरों के प्रसंज्ञान में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश महेशचंद्र शर्मा की अदालत ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों में इच्छा शक्ति के अभाव के कारण ही हिंगोनिया में गायों के मरने का सिलसिला चल रहा है।
अधिकारियों की इच्छा शक्ति के बगैर इसे नहीं रोका जा सकता। इतनी संख्या में गायों के मरने के बाद भी सरकार इन अधिकारियों के खिलाफ कदम क्यों नहीं उठा रही।
उल्लेखनीय है कि हिंगोनिया गौशाला की देखरेख का पूरा जिम्मा नगर निगम का है। सरकार इस गौशाला के लिए हर वर्ष 15 करोड़ रूपए जारी करती है।
गौशाला में गायों की देखरेख के लिए 17 पशु चिकित्सक और चालीस नर्सिंग स्टाफ भी है लेकिन पिछले एक पखवाड़े में इस गौशाला में सौ से अधिक गायों की मौत हो चुकी है। प्रतिपक्ष ने भी इस मुद्दे को उठाया था।
गौशाला के हालात 21 जुलाई के बाद से तब और बिगड़ गए जब यहां काम करने वाले कर्मचारियों ने तीन माह से वेतन ना मिलने के विरोध में हड़ताल शुरू कर दी। बरसात के मौसम में इन दिनों गौशाला की सफाई भी नहीं हो रही और समूची गौशाला कीचड़ व गंदगी से अटी पड़ी है।
कीचड़ के दलदल में गाय बैठ भी नहीं पा रहीं और कई गाय इसी दलदल में फंस कर मर चुकी हैं। उच्च न्नायालय की टिप्पणी के बाद गुरूवार दोपहर बाद प्रशासन कुछ हरकत में आया और दलदल में फंसी गायों को रस्सियों से निकालने का काम शुरू किया गया है।