जोधपुर। अपने ही गुरुकुल की नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीडऩ के आरोप में जोधपुर जेल में बंद आसाराम को फिर हाईकोर्ट से करारा झटका लगा है। आसाराम की जमानत याचिका मंगलवार को खारिज हो गई। जमानत हासिल करने का आसाराम का यह नौवां प्रयास था।
गौरतलब है कि आसाराम ने अपनी बीमारियों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट में जमानत की याचिका लगाई थी। तीसरी जमानत याचिका पर न्यायाधीश निर्मलजीत कौर ने पांच अगस्त को फैसला सुरक्षित रखा था। मंगलवार की वाद सूची में फैसला सुनाए जाने के लिए मामले को सूचीबद्ध किया गया था। अब तक आसाराम की नौ याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं।
सितम्बर 2013 में जिला एवं सेशन न्यायालय ने उनकी पहली जमानत याचिका खारिज की। इसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट में उनकी अपील पर प्रसिद्ध विधिवेत्ता रामजेठमलानी पैरवी करने आए। उन्होंने पीड़िता को पीडाफीलिया (बाल यौन शोषण) बीमारी से ग्रसित बताया।
एक अक्टूबर 2013 को हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। बाद में बीमारी का आधार बना आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड का गठन कर उनकी जांच रिपोर्ट मांगी। मेडिकल बोर्ड ने दिल्ली स्थित एम्स में उनका इलाज कराने की सुझाव दिया।
एम्स दिल्ली के मेडिकल बोर्ड ने उन्हें किसी प्रकार की गंभीर बीमारी से इनकार किया। इस रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में तीन न्यायाधीशों की बेंच ने बीस जनवरी 2015 को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
फरवरी 2015 में आसाराम ने जिला न्यायालय से जमानत हासिल करने का एक और प्रयास किया, लेकिन विफल रहे। मार्च 2015 में अपने भांजे शंकर पगरानी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के नाम पर आसाराम ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक बार फिर जमानत याचिका दाखिल की लेकिन न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
जून 2015 में भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रहमण्यम स्वामी ने उनकी तरफ से जिला न्यायालय में एक बार फिर जमानत याचिका दाखिल की। 19 जून को न्यायालय ने स्वामी की दलीलों को नकारते हुए आसाराम को जमानत देने से इनकार कर दिया।
जुलाई में आसाराम ने अपनी बारह बीमारियों को आधार बना इलाज के लिए केरल जाने की इच्छा जताते हुए अंतरिम जमानत मांगी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।