राजसमंद/जयपुर। राजस्थान के राजसमंद इलाके में पश्चिम बंगाल के मालदा के रहने वाले 48 वर्षीय मुस्लिम मजदूर मोहम्मद अफराजुल की ‘लव जेहाद’ का बदला लेने के नाम पर नृशंस हत्या और शव को मिट्टी का तेल डालकर जलाने वाले शंभूलाल रैगर को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
राजसमंद की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने शुक्रवार देर शाम रैगर के नाबालिग भतीजे को भी किशोर सुधार गृह भेज दिया। रैगर के भतीजे ने ही इस घटना का वीडियो बनाया था।
15 वर्षीय लड़के को बाल कल्याण समिति की दंडाधिकारियों की पीठ के सामने पेश किया गया, जिसने लड़के को किशोर अपराधी मानते हुए राज्य के बाल सुधार गृह भेजने का आदेश दिया।
रैगर को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया था। सरकारी अभियोजक ने अदालत से पांच दिन की पुलिस रिमांड की मांग की थी, ताकि आरोपी से पूछताछ जारी रहे और पुलिस टीम को घटनाओं की श्रृंखला की पुष्टि करने में मदद मिले।
रैगर ने अदालत में दावा किया कि उसे पीड़ित के परिवार से धमकी मिली थी। उसके बाद उसने हत्या को अंजाम दिया। हालांकि, पुलिस ने उसके दावों को खारिज कर दिया। उसने छह साल पुरानी घटना को अपराध के साथ जोड़ने का प्रयास किया, जिसमें उसने अपने इलाके की एक लड़की को कथित तौर पर बचाया था, जो पश्चिम बंगाल के एक आदमी के साथ भाग गई थी।
इस सप्ताह की शुरुआत में रैगर ने एक तेजधार हथियार से अफराजुल पर पीछे से वार कर उसकी हत्या कर दी थी और मिट्टी का तेल डालकर शव में आग लगा दी थी। उसने इस घटना को ‘लव जेहाद’ का बदला करार दिया था।
उदयपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि रैगर ‘मानसिक रूप से अस्थिर’ है, लेकिन इसका कोई मेडिकल इतिहास नहीं है, हालांकि यह सच है कि वह बेरोजगार था और उस पर 1.5 लाख रुपए का कर्ज था। उन्होंने कहा कि रैगर किसी आपराधिक पृष्ठभूमि से संबंध नहीं रखता है।
पुलिस ने 10 व्यक्तियों को पूछताछ के लिए भी हिरासत में लिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं यह घटना किसी षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं।
पुलिस ने पुष्टि की है कि उसने हिंदूवादी दक्षिणपंथी संगठनों से प्रभावित होकर सोशल मीडिया साइटों पर द्वेषपूर्ण संदेश और वीडियो को प्रचारित किया था।
इस बीच, उदयपुर में मुस्लिम समुदाय ने शुक्रवार को हाथीपोल से एक बड़ा जुलूस निकाला। मुस्लिम महासाभा के सदस्यों ने इस घटना की निंदा की और आरोपी के लिए मौत की सजा की मांग की। उन्होंने डिवीजनल आयुक्त भवानी सिंह देथा के समक्ष एक फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा सुनवाई के लिए निवेदन प्रस्तुत किया और इस क्रूरता के लिए रैगर को ‘फांसी’ से कम कुछ नहीं की मांग की।
रिपोटरें के अनुसार सवाई माधोपुर में भी एक समान जुलूस निकाला गया। पुलिस ने कहा कि तीन बच्चों का पिता 33 वर्षीय रैगर, फोन पर नफरत वाले वीडियो देखता था और बेरोजगार था। वह कई उग्र समूहों का हिस्सा रहा है। वह राजसमंद में एक संयुक्त परिवार में रहता है और उसके माता-पिता गुजरात में काम करते हैं।
उसकी बड़ी बेटी 16 साल की है, जबकि उसकी सबसे कम उम्र की बेटी 13 साल की है, जिसे वायरल वीडियो में देखा जा सकता है। इससे पहले, वह संगमरमर का व्यवसाय करता था, जो चल नहीं पाया, इसलिए वह इस समय कुछ नहीं कर रहा था।
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