जयपुर। आज युवा पीढ़ी में संस्कारों को अभाव देखने को मिलता है। इसलिए फिर से जरूरत है दादा-दादी, नाना-नानी की कहानियां बच्चों को सुनाने की परंपरा को वापस लाने की। यह कहना है प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी का।
चतुर्वेदी ने कहा कि बुजुर्गो का अनुभव एवं उनकी योग्यताओं तथा ज्ञान का लाभ देश के पीड़ित व वंचित लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए किया जाए, इससे समाज व देश को मजबूती मिलेगी, क्योंकि बुजुर्गो के पास अनुभवों का बेहतर खजाना होता है।
चतुर्वेदी रविवार को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा इंदिरा गांधी पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित राज्यस्तरीय वृद्धजन सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारे बुजुर्गो में वह ज्ञान है, जो बड़े-बड़े विश्वविद्यालय में नहीं मिलता है। उस ज्ञान का सदुपयोग समाज व देश के भले के लिए करने की जरूरत है। आज युवा पीढ़ी भारतीय परंपरा और संस्कारों से विमुख होते जा रही है जगह-जगह छोटे-छोटे बच्चों के साथ अप्रिय घटना हो रही है, इसका मुख्य कारण हमारी नौजवान पीढ़ी में संस्कारों का अभाव होना है।
उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि बुजुर्गो के अनुभवों से प्रेरणा लेकर ऐसा संकल्प लेना चाहिए कि देश में एक भी वृद्धाश्रम नहीं बने। उन्होंने कहा कि कोई भी बुजुर्ग वृद्ध आश्रम में नहीं आना चाहता लेकिन उनकी मजबूरी है, अकेलापन के कारणों से आना पड़ता है, इन कारणों पर गंभीरता से चिंतन करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा है कि आने वाले समय में भारत बुजुर्गो का देश होगा और यह हमारे लिए बड़ी चुनौती होगी। इसलिए अभी से बुजुर्गो के अनुभवों में ज्ञान का लाभ लेने के लिए बड़े स्तर पर कार्य योजना तैयार करने की जरूरत है। इस काम के लिए सरकार के साथ साथ समाज को भी आगे आने की आवश्यकता है।
उन्होंने ने बताया कि प्रदेश में 44 वृद्धा आश्रम संचालित किए जा रहे हैं, केंद्र सरकार ने भी बुजुर्गो के लिए वयोश्री योजना शुरू की है। इस योजना से बुजुर्गो को विभिन्न तरह के संसाधन उपलब्ध करवाये जा रहे हैं।
मंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए बनाए गए वेब पोर्टल का बटन दबाकर लॉन्च किया। वेब पोर्टल पर बुजुर्गो के लिए संचालित योजनाओं की जानकारी होगी।