जयपुर। राजस्थान के 22 हजार से ज्यादा गांव ढाणियां प्रदूषित पानी की समस्या से ग्रस्त हैं। इन गांवों के पानी में फ्लोराइड, नाइट्रेट, सेलेनिटी और आयरन की मात्रा ज्यादा है।
प्रदेश का ज्यादातर इलाकों में लोग भूजल पर निर्भर है और पानी के जरूरत से ज्यादा दोहन के कारण ज्यादातर इलाकों में भूजल स्तर बहुत नीचे चला गया है। इसके चलते प्रदूषित पानी की समस्या बढती जा रही है।
हाल में सामने आए आंकडों के अनुसार राजस्थान में 1 लाख 21 हजार 683 में से 39 हजार से ज्यादा गांव-ढाणियों में भारी पेयजल संकट है। इसके साथ ही 22254 गांव-ढाणियों के लोग प्रदूषित पानी पी रहे है।
राजस्थान में सबसे ज्यादा प्रदूषित पानी की समस्या बाड़मेर जिले में है, जहां 9963 गांव-ढाणियों प्रदूषित पानी की समस्या है। इस जिले में सरकार ने निजी कम्पनियेों के साथ आरओ प्लांट वाले वॉटर एटीएम लगाए हैं। इनके जरिए लोगों को निश्चित राशि के बदले साफ पानी उपलब्ध कराया जाता है।
अन्य प्रमुख जिलों में जोधपुर में 4470, नागौर में 1162, भरतपुर 700, जयपुर में 668, जालौर में 651 गांवों में प्रदूषिात पानी है। पानी में फ्लोराइड की समसया सबसे ज्यादा 7 हजार 56 गांव-ढाणियों में है।
इसी प्रकार 13 हजार 814 गांव-ढाणियों में लोग सेलिनिटीयुक्त पानी पी रहे हैं, 1370 गांव-ढाणियों में नाइट्रेट और 14 गांव-ढाणियों में लोग आयरन की समस्या वाला पानी पीने पीने को मजबूर हैं।
केन्द्र सरकार के नीति आयोग की ओर से राज्य में प्रदूषित पानी की समस्या से प्रभावित गांव-ढाणियों और उनमें पेयजल समस्या निवारण के लिए चलाए जा रहे अभियान की रिपोर्ट मांगी है।