जयपुर। राज्य विधानसभा ने गुरुवार को राजस्थान डायन-प्रताड़ना निवारण विधेयक, 2015 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल ने विधेयक को सदन में विचारार्थ प्रस्तुत किया।
विधेयक पर हुई बहस के बाद भदेल ने कहा कि हमारे देश और समाज में डायन प्रताड़ना का वर्षों पुराना अंधविश्वास मानवता के लिए अभिशाप है। उन्होंने कहा कि राज्य में महिलाओं को डायन घोषित कर उनके साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार करने, यहां तक कि उनकी हत्या करने की भी अनेक शिकायतें प्राप्त होती रहती हैं।
उन्होंने ने कहा कि विगत वर्षों में गृह विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-2010 से दिसंबर-2014 तक डाकन कुरीति के 43 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने कहा कि ऐसे हजारों मामले भी हो सकते हैं, जो कि दर्ज नहीं हो पाते। उन्होंने कहा कि अंधविश्वासों की आड़ लेकर महिलाओं का जो उत्पीड़न होता है, उससे संरक्षण के लिए यह विधेयक लाया गया है।
यह एक सामाजिक बुराई है, जिसे दूर करने के लिए समझाइश और जागरूकता के माध्यम से सबको मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर अशिक्षा और पिछड़ेपन के कारण डायन प्रथा आज भी कायम है। सामूहिक जुर्माने के बारे में उन्होंने कहा कि सामाजिक सुधारों से जुड़े कई विधेयकों में यह प्रावधान पहले से ही है।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने बताया कि हमारे देश में नारी को उच्च स्थान प्राप्त है। हमारा इतिहास गार्गी जैसी विदूषी और महान महिलाओं से भरा पड़ा है। उन्होंने कहा कि राज्य में वर्तमान में डायन-प्रताड़ना तथा इस तरह की अन्य समान कुरीतियों को प्रतिबंधित करने तथा इनमें आरोपित व्यक्तियों को दण्डित करने के लिए अलग से कोई नियम नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में डायन प्रताड़ना और अन्य समान कुरीतियों को खत्म करना है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक डायन-प्रताड़ना के दुष्परिणाम से निपटने या उसके परिणाम स्वरूप होने वाले अपराधों को नियंत्रित करने में सहायक होगा। इस विधेयक में पीड़िता के पुनरुद्धार के लिए बजट का भी प्रावधान किया गया है।
यह विधेयक स्त्री के प्रति अमानवीय कृत्यों पर रोक लगायेगा। इसके अतिरिक्त विधेयक में महिलाओं को डायन घोषित कर उनके घर और अन्य सम्पत्ति से बेदखल करने को दंडनीय अपराध माना गया है। विधेयक के प्रस्तावित दांडिक प्रावधानों में डायन-प्रताड़ना, किसी स्त्री को डायन का नाम देने और किसी व्यक्ति को हानि पहुंचाने वाली अन्य समान वृत्तियों को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि विधेयक में डायन चिकित्सक के लिए भी दंड का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि डायन-प्रताड़ना के परिणाम स्वरूप यदि किसी स्त्री की अप्राकृतिक मृत्यु होती है तो इसके लिए भी विधेयक में दंड का प्रावधान है। यह विधेयक उस स्थान के निवासियों पर सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करेगा जहां ऐसा कोई अपराध किया जाता है।
ऐसे जुर्माने से प्राप्त राशि को पीड़ितों के पुनर्वास के लिए उपयोग में लिया जाएगा। विधेयक में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि राज्य सरकार समय-समय पर ऐसी पीड़ित महिलाओं के लिए योजनाएं बनाए तथा इस कुरीति के संबंध में व्याप्त अंधविश्वासों के प्रति आमजन में जागरूकता लाने के लिए कार्यक्रम संचालित करे।
इससे पहले सदन ने सदस्यों द्वारा विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचारित करने