जयपुर। राज्य विधानसभा ने शुक्रवार को राजस्थान किराया नियंत्रण (संशोधन) विधेयक, 2017 को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री ने कहा कि इस संशोधन विधेयक को लाकर राजस्थान देश का ऐसा पहला प्रदेश बन गया है, जिसने केन्द्रीय मॉडल किराया कानून के निर्देशों का पालन किया है।
उन्होंने कहा कि इस व्यावहारिक एवं सरलीकृत विधेयक से राज्य के आमजन को अधिकाधिक सुविधाएं मिलेंगी। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों पर प्रकाश डालते हुए कृपलानी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से प्रदेशवासियों को सस्ता और सुलभ न्याय मिलेगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की पहल पर आयोजित किए न्याय आपके द्वार अभियान का लाभ जिस तरह से प्रदेशवासियों को मिला है, उसी तरह इस विधेयक के माध्यम से शहरी क्षेत्रों के निवासियों को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हितों की रक्षा की गई है। इसके माध्यम से उनके बीच होने वाले विवादों को उपखण्ड अधिकारी के स्तर पर ही सुलझाया जा सकेगा जो कि एक अच्छी सोच है।
उन्होंने कहा कि इस संशोधित विधेयक के माध्यम से शहरी क्षेत्र की सम्पत्तियों की सीमा को समाप्त किया गया है। कृपलानी ने सदन को आश्वस्त किया कि इससे ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट प्रभावित नहीं होगा। क्योंकि इसमें किराया करार किसी भी अवधि का हो सकता है।
उन्होंने कहा कि इससे किसी के अधिकारों का हनन नहीं होगा। इसमें किराया प्राधिकरण के निर्णय पर अपील करने की भी सुविधा दी गई है। उन्होंने कहा कि कोटा समेत प्रदेश के अन्य जिलों में रह रहे विद्यार्थियों को भी इससे असुविधा नहीं होने वाली है। क्योंकि हम पंजीकरण की प्रक्रिया को ऑनलाइन करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यदि विद्यार्थियों की सूचना प्रशासन के पास होगीए तो इसका फायदा होगाए क्योंकि इससे विद्यार्थी सुरक्षित होंगे। इससे पहले विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने का संशोधन प्रस्ताव ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया गया।