जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को एक ऐसा एयरक्राफ्ट चाहिए जो युरोप तक जा सके और इसकी उडान क्षमता उस एक्जीक्यूटिव एम्ब्रेयर जेट से ज्यादा हो जिसे प्रधानमंत्री घरेलु उडान के दौरान उपयोग में लेते हैं। इकोनोमिक टाइम्स में प्रकाशित समाचार के अनुसार इस स्पेसिफिकेशन के लिए जारी गई निविदा विज्ञप्ति ने एक और एवियेशन संबंधित विवाद को जन्म दे दिया है। इससे पहले आॅगस्टा वेस्टलेंड विवाद के बाद राजे सरकार ने उसका टेंडर वापस लिया था।
रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान सरकार के डायरेक्टर आॅफ सिविल एवियेशन ने 28 नवम्बर, 2016 में एक टेंडर निकाला। इसके माध्यम से सरकार लम्बे समय के लिए मध्यम आकार का एयरक्राफ्ट किराए पर लेना चाहती थी। ईटी के अनुसार इस निविदा के अनुसार नियमानुसार टेंडर में मांगी गई तकनीकी विशेषता मुख्यमंत्री के उपयोग में लाए जाने वाले एयरक्राफ्ट की तकनीकी विशेषताओं से ज्यादा है।
रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकारों के लिए वीआईपी इस तरह के उच्च क्षमता व पेरामीटर्स वाले विमान का उपयोग नहीं करते जिस तरह के पेरामीटर्स राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने निविदा में मांगे हैं। इसमें बताया गया है कि प्रधानमंत्री का जेट भी 3200 नाॅटीकल मील की रेंज का नहीं है जैसा कि वसुंधरा सरकार ने निविदा के माध्यम से मांगा है। जबकि जयपुर से तिरूअनंतपुरम की दूरी ही 2300 नाॅटिकल मील है जो कि टेंडर में मांगी गई रेंज से काफी कम है। टेंडर में विमान की अधिकतम उडान उंचाई क्षमता 41 हजार फीट मांगी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार यह भी एक अवांछित आवश्यकता है जबकि अधिकतर मुख्यमंत्री विमान के माध्यम से छोटी दूरियां ही तय करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार टेंडर में यह भी स्पष्ट किया गया है कि विमान पंद्रह साल पुराना नहीं होना चाहिए, जबकि वीआईपी विजिटिंग के लिए खरीदे या किराए पर लिए जाने वाले अधिकांश एयरक्राफ्ट पांच साल से भी कम पुराने या नए हैं। ऐसे में यह शर्त भी संदेहास्पद है। वैसे सरकारी हलकों में इसका कारण यह बताया जा रहा है कि सरकार इसका काॅमर्शियल यूज भी करना चाहती है, इस कारण यह स्पेसिफिकेशन दिया है।
-गहलोत ने साधा निशाना
इस मुद्दे को लेकर राजस्थान की सियासत में गर्माने के आसार हैं। प्रदेश के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने ट्विटर पर इस मामले पर निशाना साधते हुए लिखा है कि प्रधानमंत्री से ज्यादा तकनीकी विशेषताओं वाले विमान रखने की इच्छा अजीब है।