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संगीतकार नहीं, सरकारी नौकरी चाहते थे राजेश रौशन - Sabguru News
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संगीतकार नहीं, सरकारी नौकरी चाहते थे राजेश रौशन

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संगीतकार नहीं, सरकारी नौकरी चाहते थे राजेश रौशन
Rajesh Roshan wanted to do government job
Rajesh Roshan wanted to do government job
Rajesh Roshan wanted to do government job

मुंबई। बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार राजेश रौशन अपने संगीत से लगभग तीन दशक से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर रहे है लेकिन वह संगीतकार नहीं बनकर सरकारी नौकरी करना चाहते थे।

राजेश रौशन का जन्म 24 मई 1955 को मुंबई में हुआ। उनके पिता रौशन फिल्म इंडस्ट्री के नामी संगीतकार थे। घर में संगीत का माहौल रहने के बावजूद उनकी संगीत के में कोई रूचि नही थी। उनका मानना था संगीतकार बनने से अच्छा है कि 10 से 5 बजे तक की सरकारी नौकरी की जाए इससे उनका जीवन सुरक्षित रहेगा।

राजेश रौशन के पिता की मृत्यु होने के बाद उनकी मां संगीतकार फैयाज अहमद खान से संगीत की शिक्षा लेने लगी। मां के साथ वह भी वहां जाया करते थे। धीरे धीरे उनका रूझान भी संगीत की ओर हो गया और वह भी फैयाज खान से संगीत की शिक्षा लेने लगे।

सत्तर के दशक में राजेश रौशन संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारे लाल के सहायक के तौर पर काम करने लगे। उन्होंने लगभग पांच वर्ष तक उनके साथ काम किया। राजेश रौशन ने संगीतकार के रूप में अपने सिने करियर की शुरूआत महमूद की 1974 में प्रदर्शित फिल्म ‘कुंवारा बाप’ से की लेकिन कमजोर पटकथा के कारण फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह पिट गई।

राजेश रौशन की किस्मत का सितारा 1975 में प्रदर्शित फिल्म’जूली’ से चमका। इस फिल्म में उनके संगीतबद्ध गीत दिल क्या करे जब किसी को किसी से प्यार हो जाए, माई हार्ट इज बीटिंग, ये राते नई पुरानी और जूली आई लव यू जैसे गीत श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुए। फिल्म और संगीत की सफलता के बाद बतौर वह संगीतकार के रूप में कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए।

लगभग चार वर्ष तक मायानगरी मुंबई में संघर्ष करने के बाद राजेश रौशन को 1979 में अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म ‘मिस्टर नटवरलालÓ में संगीत देने का मौका मिला। इस फिल्म में उनका संगीतबद्ध गीत परदेसिया ये सच है पिया उन दिनों श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। फिल्म और संगीत की सफलता के बाद राजेश रौशन का सितारा गर्दिश से बाहर निकल गया।

‘मिस्टर नटवरलाल’ राजेश रौशन के साथ ही सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के सिने करियर के लिए भी महत्वूपूर्ण फिल्म साबित हुई। इस फिल्म से पहले अमिताभ बच्चन ने फिल्मों के लिए कोई गीत नहीं गाया था। यह राजेश रौशन ही थे जिन्होंने अमिताभ बच्चन की गायकी पर भरोसा जताते हुए उनसे फिल्म में मेरे पास आओ मेरे दोस्तो एक किस्सा सुनाउं.. गीत गाने की पेशकश की। यह गीत श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है।

राजेश रौशन अब तक दो बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्मफेयर पुरस्कार से समानित किए जा चुके है। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म जूली के लिए सबसे पहले उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था। इसके बाद 2000 में प्रदर्शित फिल्म कहो ना प्यार है.. के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। राजेश रौशन लगभग 125 फिल्मों के लिए संगीत निर्देशन कर चुके है। राजेश रौशन अब फिल्म का निर्माण भी करने जा रहे है।