पटना। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बिहार के ‘चंपारण सत्याग्रह’ के 100 साल पूरे होने के अवसर पर सोमवार को आयोजित ‘स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह’ में अंतिम समय में भाग न लेने के फैसले को लेकर बिहार में सियासी पारा गर्म हो गया है।
भारतीय जनता पार्टी जहां राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद को मंच पर स्थान दिए जाने को ही गलत बता रहा है वहीं बिहार में महागठबंधन इस फैसले को जायज ठहरा रहा है।
गृहमंत्री का सोमवार की सुबह तक इस समारोह में भाग लेना तय था, परंतु अचानक उन्होंने समारोह में आने का कार्यक्रम रद्द कर दिया।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने बताया कि गृहमंत्री इस सम्मान समारोह कार्यक्रम के राजनीतिकरण से आहत हैं, इसीलिए वे इसमें शामिल नहीं होंगे।
मंगल पांडेय ने कहा कि राजनाथ सिंह कार्यक्रम के राजनीतिकरण से आहत हैं। एक सजायाफ्ता भला कैसे स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित कर सकता है? इसके साथ ही लालू किसी संवैधानिक पद पर भी नहीं हैं। ऐसे में यह स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान नहीं, अपमान है।
इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गृहमंत्री या अन्य दलों के नेताओं के नहीं आने पर कहा कि उन्होंने बिहार के सभी दलों को इस समारोह में भाग लेने के लिए निमंत्रण भेजा था, जो आए उन्हें धन्यवाद और जो नहीं आए उनसे भी मेरी कोई शिकायत नहीं है।
उधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी राज्य सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया है कि नीतीश कुमार ने सजायाफ्ता लालू और राहुल को कार्यक्रम में बुलाकर स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है।
जद (यू) के राष्ट्रीय महासचिव क़े सी़ त्यागी ने सफाई देते हुए कहा कि लालू को बुलाने में कोई खराबी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम किसी पार्टी विशेष का कार्यक्रम नहीं है। इसमें सभी गणमान्य लोगों को बुलाया गया था। लालू प्रसाद राजद के अध्यक्ष हैं, इसीलिए उन्हें भी बुलाया गया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्र ने वहीं कहा कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह का स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह में न आना स्वतंत्रता सेनानियों का अनादार और अपमान है।
उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम में भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल किसी राजनीतिक दल के नेताओं ने हिस्सा नहीं लिया।