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इशरत मामले में मोदी को फंसाने की थी साजिश : राजनाथ - Sabguru News
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इशरत मामले में मोदी को फंसाने की थी साजिश : राजनाथ

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इशरत मामले में मोदी को फंसाने की थी साजिश : राजनाथ
rajnath singh statement in lok sabha over ishrat jahan case
rajnath singh statement in lok sabha over ishrat jahan case
rajnath singh statement in lok sabha over ishrat jahan case

नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरूवार को लोकसभा में इशरत जहां मामले में दायर हलफनामे को कथित रूप से बदले जाने के बारे में बयान दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद जैसे विषयों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन दुख के साथ बताना पड़ रहा है कि यूपीए सरकार ने इशरत मामले में गड़बड़ी की थी।

केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कहा कि 15 जून 2004 को अहमदाबाद पुलिस के साथ एक मुठभेड़ कार्रवाई में जावेद शेख, जीशान जौहर, अमजद अली एवं इशरत जहां नामक चार व्यक्ति मारे गए थे।

इस मामले में भारत सरकार की ओर से पहला हलफनामा तत्कालीन केन्द्रीय गृह मंत्री द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद 6 अगस्त 2009 को गृह मंत्रालय के तत्कालीन अवर सचिव द्वारा गुजरात उच्च न्यायालय में दाखिल किया गया था।

हलफनामे में उल्लेख किया गया था कि भारत सरकार को प्राप्त विशिष्ट सूचनाओं से यह पता चला कि लश्करे-तैयबा (एलईटी) गुजरात राज्य सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बना रहा था। इसके अलावा कुछ शीर्ष स्तर के राष्ट्रीय और राज्य के नेताओं की हत्या की योजना भी बना रहा था।

इसमें इशरत को लश्कर का आतंकी बताया गया था। हलफनामे में जावेद शेख, अमजद अली, जीशान जौहर तथा इशरत जहां की पृष्ठाभूमि तथा इनके संपर्क सूत्रों तथा याचिकाकर्त्ता एवं एम.आर. गोपीनाथ पिल्लई, जावेद शेख के पिता के प्राकथन में अंतरविरोधों का भी उल्लेेख किया गया था, जिसे माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया था लेकिन पिल्लई को गुजरात उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता प्रदान की गई थी।

उन्होंने कहा कि इसके बाद सरकार की ओर से 29 सितंबर 2009 को दूसरा हलफनामा दायर किया गया। इसमें कहा गया कि सूचना इनपुट निर्णायक साक्ष्य नहीं है तथा ऐसे इनपुट पर कार्रवाई करना राज्य सरकार और राज्य पुलिस का कार्य है।

इशरत जहां मामले में पिछली संप्रग सरकार पर फ्लिप फ्लॉप करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करना गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने और फंसाने की गहरी साजिश का हिस्सा था और मामले की तह तक जाकर इस बारे में अंतिम निर्णय किया जाएगा।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गृह मंत्रालय इस बात की जांच कर रहा है कि इशरत को पहले आतंकी बताने और बाद में उससे पीछे हट जाने संबंधी दो हलफनामे किन परिस्थितियों में दाखिल किए गए।

उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में कुछ दस्तावेज लापता हैं। लेकिन मंत्रालय के स्तर पर आंतरिक छानबीन की जा रही है और सारे तथ्य एकत्रित किए जा रहे हैं जिसके बाद सोच-समझकर अंतिम निर्णय पर पहुंचा जाएगा।

हलफनामे में इशरत के आतंकी होने की बात को कमजोर कर दिया गया। इस मामले से संबंधित कई दस्तावेज गायब है। उन्होंने कहा कि इशरत केस में यूपीए सरकार ने गड़बड़ी की और हलफनामे में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ हुई।

राजनाथ ने कहा कि इसके बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने घटना की जांच का आदेश पहले न्यायालय द्वारा नियुक्त एक एसआईटी द्वारा तथा इसके पश्चात सीबीआई द्वारा 1 दिसंबर 2011 के एक निर्णय द्वारा दिया गया।

सीबीआई ने छानबीन के बाद पहली चार्जशीट 3 जुलाई 2013 को गुजरात के सात पुलिस-कर्मियों के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302, 364, 368, 346, 120-ख, 201, 203, 204, 217, 218 तथा शस्त्र अधिनियम की धारा 25, 27 के अंतर्गत दर्ज करवाई।

तदुपरान्त, सीबीआई ने 6 फरवरी 2014 को 4 आई बी कार्मिकों के विरुद्ध आई पी सी की धारा 120बी के साथ 302, 346, 364, 365 और 368 तथा आयुध अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत अनुपूरक आरोप पत्र दायर किया।

उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के बाद, इस मामले को आई.बी. के अधिकारियों पर अभियोजन चलाने की संस्तुाति प्रदान करने के लिए उपयुक्त नहीं पाया। यह मामला विशेष न्याययाधीश, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो, अहमदाबाद के न्यायालय में विचाराधीन है।

इसके अतिरिक्त 26/11 के मुम्बई आतंकी हमले के मामले में अभियुक्त, डेविड कॉलमैन हेडली ने न्यायालय द्वारा माफी देने की शर्त के अधीन सत्र मामला संख्या 198/2013 में सरकारी गवाह बनने की इच्छा जाहिर की।

सक्षम न्यायाधिकार क्षेत्र के मुम्बई स्थित न्यायालय ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 307 के अंतर्गत डेविड कॉलमैन हेडली को माफी प्रदान की। इसके बाद 26/11 मुम्बई आतंकी हमले से संबंधित विचारण मामले में अभियोजन पक्ष द्वारा हेडली से जिरह की गई।

मुम्बई न्यायालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से साक्ष्य के दौरान डेविड कॉलमैन हेडली ने उल्लेख किया कि उसे अपने अपराध-सह-कर्मियों से पता चला था कि भारत में एक ’अभियान विफल’ रहा, जिसमें पुलिस के साथ मुठभेड़ में एक महिला आतंकी मारी गई।

सरकारी अभियोजन पक्ष ने उसे 3 महिला आतंकियों के नामों में से उक्त महिला आतंकी की पहचान करने का विकल्प दिया जिसके बाद हेडली ने इशरत जहां की पहचान संबंधित आतंकी के रूप में की।