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राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री पद के दमदार उम्मीदवार - Sabguru News
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राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री पद के दमदार उम्मीदवार

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राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री पद के दमदार उम्मीदवार
Rajnath Singh Strong candidate for chief minister
 Rajnath Singh Strong candidate for chief minister
Rajnath Singh Strong candidate for chief minister

जीवन परिचय:- राजनाथ सिंह भारत के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ और वर्तमान मेँ भारत के गृह मंत्री तथा वर्तमान सत्ता दल भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष हैं। वह पहले भाजपा के युवा स्कंध के और भाजपा की उत्तर प्रदेश (जो उनका गृह राज्य भी है), ईकाई के अध्यक्ष थे।

प्रारंभ में वे भौतिकी के व्याख्याता थे, पर शीघ्र जनता पार्टी से जुड़ने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने दीर्घ संबंधों का उपयोग किया, जिसके कारण वे उत्तर प्रदेश में कई पदों पर विराजमान हुए। राजनाथ सिंह का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले के चकिया तहसील में एक छोटे से ग्राम भाभोरा में 10 जुलाई, 1951 को हुआ था।

उनके पिता का नाम राम बदन सिंह और माता का नाम गुजराती देवी था। वे क्षेत्र के एक साधारण कृषक परिवार में जन्में थे और आगे चलकर उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से प्रथम क्ष्रेणी में भौतिक शास्त्र में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। वे 13 वर्ष की आयु से (सन् 1964 से) संघ परिवार से जुड़े हुए हैं और मिर्ज़ापुर में भौतिकी व्याख्यता की नौकरी लगने के बाद भी संघ से जुड़े रहे।

1974 में, माथे पर एक चमकदार लाल तिलक के साथ, उन्हें भारतीय जनसंघ का सचिव नियुक्त किया गया। राजनाथ सिंह 1988 में यूपी विधान परिषद के सदस्य बने। 1991 में जब राज्य में बीजेपी की सरकार बनी तो राजनाथ सिंह शिक्षा मंत्री बने। 1994 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए।

1997 में वह प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने। 2000 में वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2002 में वह पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बने और 2003 में केंद्रीय कृषि मंत्री बने। 2005 में उन्होंने पार्टी का सर्वोच्च पद संभाला।

राजनीतिक कैरियर

वर्ष 1964 में 13 वर्ष की अवस्था में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। व्याख्याता बनने के बाद भी संघ से उनका जुड़ाव बना रहा। कदम-दर-कदम आगे बढ़ने वाले राजनाथ सिंह ने 1969 में गोरखपुर में भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में संगठन सचिव से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1974 में वे जनसंघ के मिर्जापुर इकाई के सचिव बने। आपातकाल के दौरान राजनाथ सिंह जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल हुए और जेल गए।

भाजपा के अध्यक्ष

राजनाथ सिंह दो बार पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इससे पहले यह उपलपब्धि केवल अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के पास ही थी। भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के बाद 2005 में भाजपा की बागडोर संभालने वाले राजनाथ सिंह ने पार्टी को फिर से एकजुट किया और पार्टी की मूल विचारधारा हिंदुत्व पर ध्यान केंद्रित किया।

उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में कोई समझौता नहीं होगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष चुने गए राजनाथ सिंह पहले भी विभिन्न संकटों के बीच सरताज बनकर उभरे। नितिन गडकरी के बाद भाजपा की बागडोर संभालने वाले 61 वर्षीय सिंह उत्तर प्रदेश से हैं।

राजनीतिक हलकों में उन्हें काफ़ी मृदुभाषी और बेलाग बोलने वालों में माना जाता है। दिसंबर, 2009 के दौरान जब राजनाथ सिंह के बाद अध्यक्ष पद पर नितिन गडकरी आए थे। लेकिन 2013 की शुरुआत में, अंतिम समय में हुए जबर्दस्त उलटफेर में नितिन गडकरी भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो गए और इसके बाद दूसरी बार आम सहमति से राजनाथ सिंह की भाजपा अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी हुई।

पार्टी के पास निश्चित तौर पर कुछ विकल्प थे लेकिन राजनाथ सिंह की निर्विवाद और प्रतिद्वंद्वियों के बीच बेहतर छवि ने उनके नाम पर सहमति बनाने में मदद की। बहरहाल, 2009 में पार्टी को केंद्र में सत्ता में लाने में नाकामी तो मिली ही, साथ ही 2004 की तुलना में पार्टी को 22 सीटें भी कम मिलीं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं अन्य पद

वह 1977 में पहली बार विधायक बने। 1983 में वह प्रदेश भाजपा के सचिव बने। संगठन में कई भूमिकाओं को निभाने के बाद वह कल्याण सिंह की सरकार में शिक्षा मंत्री रहे। उत्तर प्रदेश में शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने नकल विरोधी कानून लागू किया जिसको लेकर विवाद खड़ा हुआ था।

राजनाथ सिंह 1997 से 1999 तक उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष रहे। इसके बाद वह वाजपेयी सरकार में भूतल परिवहन मंत्री रहे। उनके मंत्री रहते ही राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम नामक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू हुई। बाद में वह कृषि मंत्री भी बने।

उन्हें 28 अक्तूबर, 2000 को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया और वह 2002 तक इस पद पर रहे। पिछले साल उन्होंने दूसरी बार भाजपा के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला। कल्याण सिंह सरकार के दौरान वे शिक्षामंत्री बने।

उत्तर प्रदेश की सियासत में भले ही वे लंबी पारी खेल चुके हो लेकिन संसद में वे पहली बार 1994 में पहुंचे जब उन्हें राज्यसभा टिकट मिला। ऊपरी सदन में उन्हें भाजपा का मुख्य सचेतक भी बनाया गया। वर्ष 1997 में जब उत्तरप्रदेश राजनीतिक संकट का सामना कर रहा था, एक बार फिर से उन्होंने राज्य पार्टी अध्यक्ष की बागडोर संभाली और इस पद पर 1999 तक रहे।

इसके बाद केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार में भूतल परिवहन मंत्री बने। केंद्र और राज्यों के बीच उनका आना-जाना लगा रहा। 28 अक्तूबर, 2000 को वे राम प्रकाश गुप्त की जगह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

2002 तक वे राज्य के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन तब तक राज्य में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी बढ़त बना चुकी थीं। भाजपा ने बसपा प्रमुख मायावती को उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर समर्थन देने को फैसला किया लेकिन राजनाथ सिंह ने इस कदम पर एतराज जाहिर किया था। इसके बाद एक बार फिर से वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बने।

किसान परिवार से आने वाले राजनाथ सिंह 2003 में राजद से अजित सिंह के अलग होने के बाद वाजपेयी मंत्रिमंडल में कृषिमंत्री के तौर पर वापसी की। भाजपा में राजनाथ सिंह के आगे बढ़ने की यात्रा जारी रही। 31 दिसंबर 2005 को वे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। उनके कार्यकाल में पहली बार कर्नाटक में भाजपा सत्ता में आई।

शिक्षक से मोदी कैबिनेट में मंत्री बनने तक का सफर:-कभी शिक्षक रहे राजनाथ सिंह ने अपने राजनीतिक करियर में कई उंचाइयां छूईं और अब वह पार्टी के अध्यक्ष पद से मोदी की सरकार में शामिल हुए हैं।

लालकृष्ण आडवाणी के विरोध के बावजूद प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर मोदी के नाम का ऐलान करने वाले 62 साल के राजनाथ देश के नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे विश्वस्त साथियों में शामिल हैं। भाजपा के दो बार अध्यक्ष रहे राजनाथ सिंह का राजनीतिक उदय गोरखपुर से हुआ जहां वह उत्तर प्रदेश के स्थानीय कॉलेज में भौतिक शास्त्र के अध्यापक थे।

वह उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री रहे तो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में परिवहन और कृषि मंत्री के रूप में काम किया। मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री के तौर पर सक्षम प्रशासक की छाप छोड़ने वाले सिंह इस बार के लोकसभा चुनाव में लखनउ सीट से जीते हैं।

दिसंबर, 2005 में आडवाणी के इस्तीफे के बाद राजनाथ भाजपा के अध्यक्ष बने और साल 2009 तक इस पद पर रहे। इस दौरान उन्होंने पार्टी को हिंदुत्व की विचारधारा पर मजबूत बनाने का प्रयास किया और कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर कोई समझौता नहीं होगा।

राजनाथ सिंह के अध्यक्ष रहते 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और उसकी सीटों की संख्या में पिछली बार के मुकाबले 22 की कमी आ गई। राजनाथ ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिक शास्त्र में एमएससी की पढ़ाई की और 1971 में मिर्जापुर के केबी पोस्ट डिग्री कॉलेज में व्याख्याता बने।

उनका आरएसएस के साथ संबंध 1964 में उस वक्त शुरू हुआ जब वह महज 13 साल के थे। व्याख्याता के तौर पर भी आरएसएस से उनका संबध बना रहा। जेपी के आंदोलन में शामिल रहे राजनाथ सिंह को 1975 में आपातकाल के समय गिरफ्तार किया गया और 1977 में उनकी रिहाई हुई।

वह 1977 में पहली बार विधायक बने। 1983 में वह प्रदेश भाजपा के सचिव बने। संगठन में कई भूमिकाओं को निभाने के बाद वह कल्याण सिंह की सरकार में शिक्षा मंत्री रहे। उत्तर प्रदेश में शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने नकल विरोधी कानून लागू किया जिसको लेकर विवाद खड़ा हुआ था। राजनाथ सिंह 1997 से 1999 तक उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष रहे। इसके बाद वह वाजपेयी सरकार में भूतल परिवहन मंत्री रहे।

उनके मंत्री रहते ही राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम नामक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू हुई। बाद में वह कृषि मंत्री भी बने। उन्हें 28 अक्तूबर, 2000 को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया और वह 2002 तक इस पद पर रहे। पिछले साल उन्होंने दूसरी बार भाजपा के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला। राजनाथ सिंह के परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे और एक बेटी है।

जाट आंदोलन की चिंगारी सुरक्षा के कड़े इंतजाम

हरियाणा में जाट नेताओं ने 5 जून से एक बार फिर आंदोलन की चेतावनी दी है। इसे देखते हुए हरियाणा मे सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। हरियाणा के 7 संवेदनशील जिलो में केंद्रीय बलों की तैनाती कर दी गई है। सोनीपत में धारा 144 लागू कर दी गई है। सोनीपत के सभी अफसरों की छुट्टियां कैंसिल कर दी गई हैं।

आंदोलन को धमकी को देखते हुए मुनक नहर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उधर जाटों ने झज्जर में महापंचायत कर सरकार के बहिष्कार की चेतावनी दी है। जाटों का कहना है कि उनकी मांगें न माने जाने पर वो सरकार के बहिष्कार का फैसला भी कर सकते हैं। इधर दिल्ली में 29-05-2016 को जाट नेताओं ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया।

इन लोगों ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के घर के बाहर भी धरना दिया। इसके बाद जाटों के प्रतिनिधिमंडल ने राजनाथ सिंह से मुलाकात कर फरवरी में हुए जाट आंदोलन के दौरान जाटों में दायर मुकदमे वापस लेने की मांग की। इस बीच हरियाणा के मुख्यंत्री मनोहर लाल खट्टर ने फरवरी में हुए जाट आंदोलन और हिंसा के लिए कांग्रेस को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया।

खट्टर ने रोहतक में हुई एक रैली में कहा कि कांग्रेस ने आंदोलन की आड़ में राजनैतिक रोटियां सेंकने का काम किया। साथ ही सीएम खट्टर ने जाटों के 5 जून के अल्टीमेटम पर कहा कि पुलिस पूरी तरह से तैयार है और किसी भी उपद्रव करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा।

हर जाति और धर्म के सीएम उम्मीदवार

संघ और भाजपा को भले ही अभी यूपी चुनाव में सीएम पद के लिए एक अदद चेहरे की तलाश हो, मगर खुद को सीएम उम्मीदवार मान कर चुनाव मैदान में बिगुल फूंक दिए हैं। संघ और भाजपा को भले ही अभी यूपी चुनाव में सीएम पद के लिए एक अदद चेहरे की तलाश है। असम के विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में भी भारी जीत की उम्मीद लगाए बैठे है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया है कि पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ प्रदेश में सरकार बनाएगी।

बीजेपी यूपी अध्यक्ष पद की कुर्सी पर केशव ही क्यों, राजनाथ-कल्याण क्यों नहीं? यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पूर्व बहुमत हासिल करेगी। हालांकि उन्होंने माना का प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी कड़ी चुनौती देंगी लेकिन आखिरकार पार्टी पूर्ण बहुमत हासिल करने में सफल होगी।

प्रदेश में पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के प्रश्न पर राजनाथ सिंह ने कहा कि इस बात का फैसला पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में लिया जाएगा कि किसे पार्टी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करेगी या फिर बिना सीएम फेस के पार्टी चुनाव मैदान में उतरेगी।

राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि प्रदेश में हर जाति और संप्रदाय के लोग उनकी पार्टी को वोट देंगे। उन्होंने कहा कि हर जाति और धर्म में ऐसा वर्ग है जो भारतीय जनता पार्टी को पसंद करते हैं यह संख्या बड़ी या छोटी हो सकती है।
डा.राधेश्याम द्विवेदी