नई दिल्ली। बीजेपी के सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बुधवार को कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने राम मंदिर पर उनकी जोरदार दलीलों से डरकर राम मंदिर मुद्दे पर व्याख्यान रद्द कर दिया।
जेएनयू के कोयना हास्टल में बुधवार शाम अयोध्या में राम मंदिर क्यों शीर्षक से एक परिचर्चा होनी थी। इस कार्यक्रम का आयोजन छात्रों के एक समूह द्वारा अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की 25वीं बरसी पर किया गया था।
एक टीवी चैनल के साथ साक्षात्कार में स्वामी ने कहा कि विश्वविद्यालय उनसे डर गया, क्योंकि वह अपनी दलीलों को साफ तौर पर रखते हैं। स्वामी ने विश्वविद्यालय के कुलपति (जगदीश कुमार) को मजबूत बनने की सलाह दी।
स्वामी ने कहा कि मैंने कुलपति को मजबूत बनने की सलाह दी, (यदि सुरक्षा की चिंता थी तो) वह हमें बता सकते थे, हम व्यवस्था करते।
उन्होंने कहा कि असल में समस्या यह है कि वामपंथी मेरी दलीलों से डरे हुए हैं। वामपंथियों का हमारे खिलाफ असहिष्णुता का आरोप हस्यास्पद है, यह कहना कि हिंदू असहिष्णु है, बदतर है। पूरा इतिहास इसके खिलाफ है, पारसियों व यहूदियों को देखिए कैसे उनकी देखरेख की गई।
उन्होंने कहा कि वामपंथी विचारधारा फासीवादी है और वे इन लोकप्रिय शब्दों को इस उम्मीद में गढ़ते हैं कि लोग इन्हें आसानी से अपना लेंगे। लेकिन आज लोग इसे अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि इसके विरोधी विचार हैं।
जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष सिमोन जोया खान ने कहा कि छात्रसंघ का कार्यक्रम के रद्द होने से कुछ लेना देना नहीं है, जो कि कुछ दक्षिणपंथी शाखा से जुड़े छात्रों के समूह ने आयोजित किया था।
कोयना हॉस्टल के वार्डेन ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी ने फैसला किया कि जेएनयू के कोयना हॉस्टल में छह दिसंबर को कोई परिचर्चा नहीं होगी। इसलिए कार्यक्रम को रद्द किया गया।
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