लखनऊ। मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल और उत्तर प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव का 70 के दशक में किसानों के नेता के तौर पर उभरे थे। जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार वह आजमगढ़ से सांसद चुने गए थे।
उत्तर प्रदेश विशेषकर पूर्वांचल में उनकी खासी पैठ थी। उन दिनों पश्चिम में पिछड़ों के नेता के तौर पर मुलायम सिंह यादव और पूर्वांचल में राम नरेश यादव की खास पहचान थी। हलांकि रामनरेश यादव को मुलायम से बड़ा नेता माना जाता था।
1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने पर उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। मंगलवार को लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में उनका निधन हो गया। वे 89 साल के थे। उनका लखनऊ के पीजीआई में इलाज चल रहा था। उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी।
उनके निधन की खबर के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी ने भी दुख जताया।
रामनरेश यादव का जन्म एक जुलाई 1928 ई. को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, जिले के गांव आंधीपुर (अम्बारी) में एक किसान परिवार में हुआ था। इनकी माता भागवन्ती देवी जी धार्मिक गृहिणी थीं और पिता गया प्रसाद महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ॰ राममनोहर लोहिया के अनुयायी थे।
आपके पिताजी प्राइमरी पाठशाला में अध्यापक थे तथा सादगी और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति थे। रामनरेश यादव को देशभक्ति, ईमानदारी और सादगी की शिक्षा पिताश्री से विरासत में मिली है। स्वदेशी एवं स्वावलंबन आपके जीवन का आदर्श है।
राम नरेश पहली बार चैधरी चरण सिंह की मदद से 1977 में जनता पार्टी के मुख्यमंत्री बने थे। वे किसानों की आवाज उठाने के लिए जाने जाते थे। उनको राजनीतिक माहौल घर से ही मिला था, क्योंकि उनके पिता गया प्रसाद महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. राममनोहर लोहिया के अनुयायी थे।
उन्होंने वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय से बीए, एमए और एलएलबी की पढ़ाई की और यहीं छात्र संघ की राजनीति से भी जुड़े रहे। इसके बाद कुछ वक्त के लिए वे जौनपुर के पट्टी स्थित नरेंद्रपुर इंटर कॉलेज में प्रवक्ता भी रहे।
1953 में उन्होंने आजमगढ़ में वकालत की शुरुआत की। रामनरेश ने समाजवादी विचारधारा के तहत विशेष रूप से जाति तोड़ो, विशेष अवसर के सिद्धांत, बढ़े नहर रेट, किसानों की लगान माफी, समान शिक्षा, आमदनी और खर्च की सीमा बांधने, वास्तविक रूप से जमीन जोतने वालों को उनका अधिकार दिलाने, अंग्रेजी हटाओ आदि आंदोलनों को लेकर कई बार गिरफ्तारियां दीं।
इमरजेंसी के दौरान वे मीसा और डीआईआर के अधीन जून 1975 से फरवरी 1977 तक आजमगढ़ जेल और केंद्रीय कारागार नैनी, इलाहाबाद में बंद रहे। रामनरेश 1988 में राज्यसभा सदस्य बने और 12 अप्रेल 1989 को राज्यसभा के अंदर उप नेता, पार्टी के महामंत्री और अन्य पदों से त्यागपत्र देकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सदस्यता ली।
राजनीतिक सफर वर्ष 1977 के लोक सभा चुनाव में आजमगढ़ जिले से जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कर संसदीय जीवन में प्रवेश किया। वर्ष 1977 के निर्वाचन के बाद हुए उपनिर्वाचन में आप जनता पार्टी के टिकट पर प्रथम बार विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
वर्ष 1985, 1996 तथा 2002 में पुनः उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य निर्वाचित। वर्ष 1988 से 1989 तक लोकदल से राज्य सभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। वर्ष 1989 से 1994 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से राज्य सभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। 23 जून, 1977 से 28 फरवरी, 1979 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
6 मार्च,1979 से 17 फरवरी 1980 तक बनारसी दास मंत्रिमण्डल में उप मुख्यमंत्री रहे। आपातकाल से पूर्व लगभग 10 बार गिरफ्तार हुए तथा आपात काल के मध्य 19 माह बन्दी रहे।
संसद की प्रथम गठित मानव संसाधन विभाग की संयुक्त संसदीय समिति के प्रथम अध्यक्ष (1993) राज्यसभा में राष्ट्रीय जनता पार्टी के उप नेता भी रहे है। 23 जून 1977 से 28 फरवरी 1979 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 8 सितम्बर,2011 से 7 सितंबर 2016 तक मध्य प्रदेश के गवर्नर रहे।
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