चंडीगढ़। पंजाब के पटियाला से हरियाणा के पिहोवा जाते हुए गांव घड़ाम दोनों प्रदेशों के लोगों की आस्था के केंद्र के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि यहां भगवान राम चंद्र का ननिहाल है, यानि माता कौशल्या का मायका।
दशम ग्रंथ में मिलता है पहला रेफरेंस
पंजाब यूनिवर्सिटी में महर्षि वाल्मीकि चेयर की पूर्व अध्यक्ष डॉ. मंजुला सहदेव के मुताबिक घड़ाम का पहला रेफरेंस हमें दशम ग्रंथ में मिलता है। दशम ग्रंथ में पहले इस जगह का नाम कुर्हम लिखा गया है, जहां राजा कौशल्य का राज था। उनकी बड़ी पुत्री का नाम ही कौशल्या था।
धीरे-धीरे कुर्हम से यह नाम गुर्हम, मुगल काल में कुरहम, बाद में गुरम और फिर आखिर में इसका नाम घड़ाम पड़ा। चूंकि वाल्मीकि रामायण में भगवान राम का संबंध पंजाब से बताया गया है, इसलिए जब 1976 में पुरातत्व विभाग ने घड़ाम में राम के टिल्ले (वो किला जहां माता कौशल्या का निवास स्थान माना जाता है) की खुदाई शुरू की तो मैं वहां खुद गई। बहुत से थीसिस देखे।
पुरातत्व विभाग को वहां जो सिक्कों समेत अन्य पुरातन सामान मिला वो 500 बीसी से 1200 बीसी के बीच का बताया गया। वाल्मीकि रामायण में मौजूद कुर्हम का मैंने (डॉ. मंजुला सहदेव) जब शाब्दिक अर्थ खोजा तो पता चला कि इसका मतलब अंग्रेजी में द हिल ऑफ राम निकलता है। मतलब राम का टिल्ला। मान्यता है भगवान राम बचपन में अपने इस ननिहाल में इसी जगह खेले-कूदे।
वाल्मीकि रामायण में दर्ज है कि कैकेयी पाकिस्तान के सिंध व जेहलम दरिया के बीच में मौजूद कैकेय देश के राजा कैकेय की पुत्री थी। उनका राजा दशरथ से विवाह हुआ। रामायण के पुराने रेफरेंस से पता चलता है कि राजा दशरथ अपने पुत्र भरत को लाने और छोड़ने के लिए इसी रास्ते का इस्तेमाल करते थे।
फुलकिया एस्टेट के गजीटियर में भी है जिक्र
पंजाब यूनिवर्सिटी में महाऋषि वाल्मीकि चेयर की पूर्व अध्यक्ष डॉ. मंजुला सहदेव से लेकर माता कौशल्या अस्पताल के पूर्व मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मंजीत सिंह रंधावा अपनी लंबी रिसर्च से तसदीक कर चुके हैं कि श्री राम चंद्र का इस जगह से संबंध था।
डॉ. मंजीत रंधावा की मानें तो फुलकिया एस्टेट द्वारा 1904 में छापे गए गजीटियर में घड़ाम का जिक्र गुरम के नाम से है। गु का मतलब घर और रम का मतलब राम। यानि राम का घर। फिर यह नाम कोहिराम बन गया, जिसका फारसी में अर्थ है राम की पहाड़ी। बाद में यह घुड़ाम बन गया।
पैप्सू के टूरिज्म गाइड में भी घुड़ाम का जिक्र भगवान राम से जोड़ा गया है। करीबन 1997-1998 में वहां माता कौशल्या व राम लला की मूर्ति रखवाई। वहां से अखंड ज्योति लाकर पटियाला के माता कौशल्या अस्पताल में स्थापित की, जो आज तक वहां जल रही है।