नई दिल्ली। देश में खाद्य सुरक्षा पर निगाह रखने वाली संस्था और उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान की मैगी के बारे में अलग-अलग राय है। पासवान को उम्मीद है कि मैगी फिर से चमकेगी और दुकानों पर दिखेगी।
पासवान ने एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएफटीआरआई) ने अपनी जांच में मैगी को सुरक्षित पाया है। मेरे मन में यह बात आ रही है कि जल्द ही मैगी दुकानों की अलमारियों पर नजर आएगी।
ध्यान देने की बात यह है कि उपभोक्ता मामलों के मंत्री का बयान उस समय आया है जब खाद्य सुरक्षा की निगरानी करने वाली संस्था इस टेस्ट रिपोर्ट का कोई खास संज्ञान लेने से मना कर चुकी है।
पासवान ने साफ किया कि मैगी पर बैन के मामले में उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी। साथ ही उन्होंने यह चिंता भी जता दी कि इस तरह की बातें एक नकारात्मक धारणा को जन्म देती हैं जिसका असर भावी विदेशी निवेशकों के मन-मस्तिष्क पर अच्छा नहीं पड़ता है।
पासवान ने कहा कि मैं चिंतित हूं। मैगी पर रोक के बाद लोगों की धारणा बदली है। विदेशी निवेशक भारत में निवेश करने से पहले दो बार सोचेंगे। हमारी साख दांव पर है।
पासवान ने एक उपमा से अपनी बात साफ की। उन्होंने कहा कि हम हर बात को यूं ही मानकर नहीं चल सकते। मैगी का पूरा प्रकरण वैसा ही है जैसे बारिश के बाद होता है-मिट्टी से बने बर्तन नष्ट हो जाते हैं लेकिन, स्टील और तांबे के बने बर्तन चमक जाते हैं। मुझे उम्मीद है कि मैगी फिर से चमकेगी।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने बुधवार को कहा था कि मैगी बनाने वाली नेस्ले इंडिया को इसके नूडल्स के मामले में क्लीन चिट नहीं दी गई है। मैगी पर रोक लगाने का पांच जून का आदेश आज भी कायम है, भले ही बताया जा रहा है कि कर्नाटक की एक मानी हुई प्रयोगशाला ने मैगी को सुरक्षित करार दिया है।
इस बीच, गोवा के उप मुख्यमंत्री फ्रांसिस डिसूजा ने भी प्रयोगशाला के परीक्षण नतीजों के प्रकाश में मैगी पर लगे प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने की अपील की है।