अजमेर। कथा मर्मज्ञ रामदेवरा के संत स्वामी मूल योगीराज ने कहा कि देश में बाबा रामदेव को मानने वाले 17 करोड़ लोग हैं। यहां तक कि पाकिस्तान तक में 1100 से ज्यादा बाबा रामदेव के मंदिर हैं। इसके अलावा दुनिया भर में 90 हज़ार से अधिक मंदिर बाबा रामदेवजी के हैं।
मूल योगीराज ने भगवन के अवतार लेने का गोस्वामी तुलसीदास के मानस का वृतांत सुनाते हुए कहा कि जब-जब अनीति होती है तब भगवान विभिन्न रूप लेकर अवतार लेते हैं। फ़िरोज़शाह तुगलक की अनीति से जब जनमानस त्रस्त हो गया तब भगवन ने 700 साल पहले बाबा रामदेव के रूप में अवतार लिया।
स्वामी मूल योगीराज ने पांडवों की वंशावली का वर्णन करते हुए कहा कि बाबा रामदेव अर्जुन की 72वीं पीढ़ी में पैदा हुए। बाबा रामदेव ने छुआछूत का विरोध किया और सबको समानता का अधिकार दिलाने का प्रयास किया।
संत स्वामी ने कहा कि यज्ञ यदि यज्ञ की विधि से हो तो ही चमत्कार दिखाता है। अग्नि प्रत्येक वस्तु की ताकत को प्रबल करती है। यज्ञ का मूल तत्व अग्नि ही है। जिस उद्देश्य को लेकर यज्ञ किया जा रहा है, उसे पूर्ण करने के लिए साधन और संकल्पता की पूर्णता होनी चाहिए।
संत स्वामी मूल योगीराज ने कहा कि ईश्वर के खेल निराले हैं। कहीं असंभव भी संभव हो जाता है तो कहीं जो संभव सा प्रतीत होता है, वह असम्भव हो जाता है। हम दो हाथों से मांगने वाले हैं, पर ईश्वर हज़ार हाथों से देने वाला है। आप प्रभु के प्रति समर्पित होकर तो देखिए। वह जगतपिता कहलाता है, उसके घर देर हो सकती है, अंधेर नहीं हो सकती। ईश्वर यदि कुछ देर से देता है तो उसका भी कोई कारण होता है।
कथा के मध्य में साध्वी शशि दीदी जी ने अपने सुमधुर भजनों से श्रोताओं को झूमने पर मज़बूर कर दिया। पवित्र सावन माह में धर्म एवं अध्यात्म की नगरी अजमेर में पहली बार द्वारिकाधीश अवतार बाबा रामदेव कथा का भव्य-दिव्य संगीतमय कथा का आयोजन विश्वशांति एवं जन हितार्थ रविवार से आरम्भ हुआ।
संस्था के महेन्द्र मारू ने बताया की कथा मर्मज्ञ रामदेवरा के संत स्वामी मूल योगीराज ’अपनी अमृतमयी वाणी में कथा का रसास्वादन करवा रहे हैं। साथ ही साध्वी शशि गौतम अपनी समधूर वाणी में सूरदास मीराबाई, कबीर दास, नानकदेव, भगवान महावीर के मधुर भजनों से अजमेर की धर्म प्रेमी जनता को सारोबार कर रही हैं।
कथा अजमेर के आजाद पार्क में रविवार को राज्य के शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी और महापौर धर्मेंद्र गहलोत द्वारा गणेशपूजन, अखण्डदीप नकलंक कलश स्थापना, बाबा रामदेवजी की चरण पादुका (पगल्या) पूजन निकलंक धुना के साथ आरम्भ हुई जो प्रतिदिन दोपहर 3ः00 बजे से शाम 7ः00 बजे तक प्रतिदिन आयोजित की जाएगी जिसके लिए वाटरपू्प्रूफ पंडाल बनाया गया है।
रविवार की कथा मे राजा अजमल का अपने पूर्वज अर्जुन, राजा परीक्षित, जन्मेजय से रणसी तक वंश वर्णन, द्वारिकाधीश अवतार का नृप अजमल के यहाँ आना, राजा का किसानों से मिलना, द्वारिका सिंधु मेसा श्रीहरि मिलान, वरदान लेकर पुनः पोकरण आगमन आदि प्रसंगों का वर्णन किया गया।
कथा के प्रवक्ता उमेश गर्ग ने बताया कि सोमवार को भगवन द्वारिकाधीश लक्ष्मी वार्ता, गरुड़ से चर्चा, श्रीहरि का नरलीला हेतु भूलोक में आगमन, राजा के महल में शिशु रूप मेसा प्राकट्य चरण चिन्ह कुमकुम के दिखाना, गर्म दूध की देग से चूल्हे से उतर कर माता मैणादे की शंका का समाधान करना आदि के वर्णन होंगे।
उपरोक्त कार्यक्रम के कुशल संचालन के लिए कालीचरण दास खण्डेलवाल, हनुमान प्रसाद कच्छावा, ओमप्रकाश मंगल, पवन ढिल्लीवाल, पवन मिश्रा, उमेश गर्ग, पूनम मारोठिया, आनन्द प्रकाश अरोड़ा, पार्षद धर्मेंद्र शर्मा, नारीशाला की चेयरमेन भारती श्रीवास्तव, विनीत कृष्ण पारीक, त्रिलोकचन्द इन्दौरा, सुनील भाटी, अमरचंद भाटी, सत्यनारायण भंसाली, पार्षद कुन्दन वैष्णव, शिवशंकर फतेहपुरिया, अरविन्द बागड़ी, घनश्याम सैनी सहित अनेक श्रद्धालुओं की स्वागत समिति बनाई गई है। पार्षद कुन्दन वैष्णव अपनी विशेष सेवाए कार्यक्रम में दे रहे हैं।