Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का पहला भाषण - Sabguru News
Home Delhi भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का पहला भाषण

भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का पहला भाषण

0
भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का पहला भाषण
ramnath kovind takes over as president of india
ramnath kovind takes over as president of india
ramnath kovind takes over as president of india

नई दिल्ली। भारत के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर संसद के केंद्रीय कक्ष में मंगलवार को शपथ ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा दिया गया भाषण —

आदरणीय श्री प्रणब मुखर्जी जी, श्री हामिद अंसारी जी, श्री नरेंद्र मोदी जी, श्रीमती सुमित्रा महाजन जी, न्यायमूर्ति श्री जे.एस. खेहर जी, महानुभावों, संसद के सम्मानित सदस्य गण
देवियो और सज्जनों और मेरे देशवासियों,

मुझे भारत के राष्ट्रपति पद का दायित्व सौंपने के लिए मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। मैं पूरी विनम्रता के साथ इस पद को ग्रहण कर रहा हूं। यहां केंद्रीय कक्ष में आकर मेरी कई पुरानी स्मृतियां ताजा हो गई हैं।

मैं संसद का सदस्य रहा हूं और इसी केंद्रीय कक्ष में मैंने आप में से कई लोगों के साथ विचार-विनिमय किया है। कई बार हम सहमत होते थे, कई बार असहमत। लेकिन इसके बावजूद हम सभी ने एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करना सीखा और यही लोकतंत्र की खूबसूरती है।

मैं एक छोटे से गांव में मिट्टी के घर में पला-बढ़ा हूं। मेरी यात्रा बहुत लंबी रही है, लेकिन यह यात्रा अकेले सिर्फ मेरी नहीं रही है। हमारे देश और हमारे समाज की भी यही गाथा रही है। हर समस्याओं के बावजूद, हमारे देश में संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित-न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल मंत्र का पालन किया जाता है और मैं इस मूल मंत्र का सदैव पालन करता रहूंगा।

मैं इस महान राष्ट्र के 125 करोड़ नागरिकों को नमन करता हूं, और उन्होंने मुझ पर जो विश्वास जताया है, उस पर खरा उतरने का मैं वचन देता हूं। मुझे इस बात का पूरा एहसास है कि मैं डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और मेरे पूर्ववर्ती श्री प्रणब मुखर्जी, जिन्हें हम स्नेह से ‘प्रणब दा’ कहते हैं, जैसी विभूतियों के पद चिन्हों पर चलने जा रहा हूं।

हमारी स्वतंत्रता, महात्मा गांधी के नेतृत्व में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों का परिणाम थी। बाद में, सरदार पटेल ने हमारे देश का एकीकरण किया। हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने हम सभी में मानवीय गरिमा और गणतांत्रिक मूल्यों का संचार किया।

वे इस बात से संतुष्ट नहीं थे कि केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही काफी है। उनके लिए, हमारे करोड़ों लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता के लक्ष्य को पाना भी बहुत महत्वपूर्ण था।

हम जल्द ही अपनी स्वतंत्रता के 70 वर्ष पूरे करने जा रहे हैं। हम 21वीं सदी के दूसरे दशक में हैं, वह सदी, जिसके बारे में हम सभी को भरोसा है कि यह भारत की सदी होगी, भारत की उपलब्धियां ही इस सदी की दिशा और दशा तय करेंगी। हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है, जो आर्थिक नेतृत्व देने के साथ ही नैतिक आदर्श भी प्रस्तुत करे। हमारे लिए ये दोनों मापदंड कभी अलग नहीं हो सकते। ये दोनों जुड़े हुए हैं और इन्हें हमेशा जुड़े ही रहना होगा।

देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है। विविधता ही हमारा वह आधार है, जो हमें अद्वितीय बनाता है। इस देश में हमें राज्यों और क्षेत्रों, पंथों, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन-शैलियों जैसी कई बातों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है। हम बहुत अलग हैं, लेकिन फिर भी एक हैं और एकजुट हैं।

21वीं सदी का भारत ऐसा होगा, जो हमारे पुरातन मूल्यों के अनुरूप होने के साथ ही चौथी औद्योगिक क्रांति को विस्तार देगा। इसमें न कोई विरोधाभास है और न ही किसी तरह के विकल्प का प्रश्न उठता है। हमें अपनी परंपरा और प्रौद्योगिकी, प्राचीन भारत के ज्ञान और समकालीन भारत के विज्ञान को साथ लेकर चलना है।

एक तरफ जहां ग्राम पंचायत स्तर पर सामुदायिक भावना से विचार-विमर्श करके समस्याओं का निस्तारण होगा, वहीं दूसरी तरफ डिजिटल राष्ट्र हमें विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचने में सहायता करेगा। ये हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।

राष्ट्र निर्माण अकेले सरकारों द्वारा नहीं किया जाता। सरकार सहायक हो सकती है, वह समाज की उद्यमी और रचनात्मक प्रवृत्तियों को दिशा दिखा सकती है, प्रेरक बन सकती है। राष्ट्र निर्माण का आधार है-राष्ट्रीय गौरव :

– हमें भारत की मिट्टी और पानी पर गर्व है।

– हमें भारत की विविधता, सर्वधर्म समभाव और समावेशी विचारधारा पर गर्व है।

– हमें भारत की संस्कृति, परंपरा एवं अध्यात्म पर गर्व है।

– हमें देश के प्रत्येक नागरिक पर गर्व है।

– हमें अपने कत्र्तव्यों के निवर्हन पर गर्व है।

– हमें गर्व है हर छोटे से छोटे काम पर, जो हम प्रतिदिन करते हैं।

देश का हर नागरिक राष्ट्र निर्माता है। हम में से प्रत्येक व्यक्ति भारतीय परंपराओं और मूल्यों का संरक्षक है और यही विरासत हम आने वाली पीढ़ियों को देकर जाएंगे।

देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले और हमें सुरक्षित रखने वाले सशस्त्र बल राष्ट्र निर्माता हैं।

जो पुलिस और अर्धसैनिक बल, आतंकवाद और अपराधों से लड़ रहे हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं।

जो किसान तपती धूप में देश के लोगों के लिए अन्न उपजा रहे हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं और हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि खेत में कितनी बड़ी संख्या में महिलाएं भी काम करती हैं।

जो वैज्ञानिक 24 घंटे अथक परिश्रम कर रहा है, भारतीय अंतरिक्ष मिशन को मंगल तक ले जा रहा है, या किसी टीके का अविष्कार कर रहा है, वह राष्ट्र निर्माता है।

जो नर्स या डॉक्टर सुदूर किसी गांव में, किसी मरीज की गंभीर बीमारी से लड़ने में उसकी मदद कर रहे हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं।

जिस नौजवान ने अपना स्टार्ट-अप शुरू किया है और अब स्वयं रोजगार दाता बन गया है, वह राष्ट्र निर्माता है। ये स्टार्ट-अप कुछ भी हो सकता है।

किसी छोटे से खेत में आम से अचार बनाने का काम हो, कारीगरों के किसी गांव में कालीन बुनने का काम हो या फिर कोई प्रयोगशाला, जिसे बड़ी स्क्रीनों से रौशन किया गया हो।

वे आदिवासी और सामान्य नागरिक, जो जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में हमारे पर्यावरण, हमारे वनों, हमारे वन्य जीवन की रक्षा कर रहे हैं और वे लोग जो नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व को बढ़ावा दे रहे हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं।

वे प्रतिबद्ध लोकसेवक जो पूरी निष्ठा के साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। कहीं पानी से भरी सड़क पर यातायात को नियंत्रित कर रहे हैं, कहीं किसी कमरे में बैठकर फाइलों पर काम कर रहे हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं।

वे शिक्षक, जो नि:स्वार्थ भाव से युवाओं को दिशा दे रहे हैं, उनका भविष्य तय कर रहे हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं।

वे अनगिनत महिलाएं, जो घर पर और बाहर, तमाम दायित्व निभाने के साथ ही अपने परिवार की देख-रेख कर रही हैं, अपने बच्चों को देश का आदर्श नागरिक बना रही हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं।

देश के नागरिक ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, उन प्रतिनिधियों में अपनी आस्था और उम्मीद जताते हैं। नागरिकों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए यही जनप्रतिनिधि अपना जीवन राष्ट्र की सेवा में लगाते हैं।

लेकिन हमारे ये प्रयास सिर्फ हमारे लिए ही नहीं हैं। सदियों से भारत ने वसुधैव कुटुंबकम, यानी पूरा विश्व एक परिवार है, के दर्शन पर भरोसा किया है। यह उचित होगा कि अब भगवान बुद्ध की यह धरती, शांति की स्थापना और पर्यावरण का संतुलन बनाने में विश्व का नेतृत्व करे।

आज पूरे विश्व में भारत के दृष्टिकोण का महत्व है। पूरा विश्व भारतीय संस्कृति और भारतीय परंपराओं की तरफ आकर्षित है। विश्व समुदाय अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिए हमारी तरफ देख रहा है। चाहे आतंकवाद हो, कालेधन का लेन-देन हो या फिर जलवायु परिवर्तन। वैश्विक परिदृश्य में हमारी जिम्मेदारियां भी वैश्विक हो गई हैं।

यही भाव हमें, हमारे वैश्विक परिवार से, विदेश में रहने वाले मित्रों और सहयोगियों से, दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में रहकर अपना योगदान दे रहे प्रवासी भारतीयों से जोड़ता है। यही भाव हमें दूसरे देशों की सहायता के लिए तत्पर करता है, चाहे वह अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का विस्तार करना हो, या फिर प्राकृतिक आपदाओं के समय, सबसे पहले सहयोग के लिए आगे आना हो।

एक राष्ट्र के तौर पर हमने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन इससे भी और अधिक करने का प्रयास, और बेहतर करने का प्रयास और तेजी से करने का प्रयास, निरंतर होते रहना चाहिए। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्ष 2022 में देश अपनी स्वतंत्रता के 75वें साल का पर्व मना रहा होगा।

हमें इस बात का लगातार ध्यान रखना होगा कि हमारे प्रयास से समाज की आखिरी कतार में खड़े उस व्यक्ति के लिए और गरीब परिवार की उस आखिरी बेटी के लिए भी नई संभावनाओं और नए अवसरों के द्वार खुलें। हमारे प्रयास आखिरी गांव के आखिरी घर तक पहुंचने चाहिए। इसमें न्याय प्रणाली के हर स्तर पर, तेजी के साथ, कम खर्च पर न्याय दिलाने वाली व्यवस्था को भी शामिल किया जाना चाहिए।

इस देश के नागरिक ही हमारी ऊर्जा का मूल स्रोत हैं।

मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि राष्ट्र की सेवा के लिए, मुझे इन लोगों से इसी प्रकार निरंतर शक्ति मिलती रहेगी।

हमें तेजी से विकसित होने वाली एक मजबूत अर्थव्यवस्था, एक शिक्षित, नैतिक और साझा समुदाय समान मूल्यों वाले और समान अवसर देने वाले समाज का निर्माण करना होगा। एक ऐसा समाज जिसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय जी ने की थी। यह हमारे मानवीय मूल्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह हमारे सपनों का भारत होगा। एक ऐसा भारत, जो सभी को समान अवसर सुनिश्चित करेगा। ऐसा ही भारत 21वीं सदी का भारत होगा।

आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद! जय हिन्द! वंदे मातरम