
मुंबई। निर्देशक सात्विक मोहंती की बतौर निर्देशक पहली फिल्म रांची डायरी पहली नजर में यूथ फिल्म के तौर पर नजर आती है, लेकिन कमजोर लेखन और निर्देशक की अनुभवहीनता के चलते इस फिल्म की संभावनाएं चौपट हो जाती हैं।
इस फिल्म की कहानी रांची की है, जहां की रहने वाली गुड़िया (सौंदर्य) बतौर गायिका अपना कैरिअर बनाना चाहती है। उसकी इस हसरत में गुड़िया के दोस्त मनीष (हिमांश कोहली) और पिंकू (ताह शाह) मदद करते हैं। ठाकुर भैया (अनुपम खेर) के आने के बाद ये फिल्म और कहानी एक नया मोड़ ले लेती है, जिसमें साजिश, क्राइम, कानून, पुलिस रहस्य और कई अपराध सामने आते हैं।
सात्विक मोहंती के पास एक अच्छी फिल्म बनाने का मौका था। कहानी ठीक थी, लेकिन पटकथा में बुरी तरह से मार खाती है और संवाद भी स्तरहीन हैं। सात्विक बतौर निर्देशक फिल्म पर नियंत्रण नहीं रख पाए, इस वजह से शुरु के बीस मिनट के आसपास ही फिल्म दिशाहीन होकर भटकने लगती है।
उम्मीद थी कि दूसरे हाफ में फिल्म बेहतर होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सुस्त रफ्तार, सीनों का दोहराव, फिल्मी मसालों और असंतुलन इस फिल्म को पूरी तरह से पटरी से उतार देता है। परफारमेंस की बात करें, तो अनुपम खेर बेहद लाउड हैं और चीख-पुकार में लगे रहते हैं।
इस फिल्म से परदे पर आई सौंदर्या शर्मा में आत्मविश्वास है और एक्टिंग के प्रति लगन भी है। कमजोर किरदार ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। जिमी शेरगिल दिलचस्प हैं, लेकिन हिमांश और ताहा का इस्तेमाल ठीक से नहीं हुआ। गीत-संगीत कमजोर है। एडीटिंग बुरी है।
तकनीकी मामलों में फिल्म सामान्य है। बाक्स आफिस पर इस फिल्म की सफलता के चांस बहुत कम हैं। जो देखने जाएंगे, वे निराश होंगे।