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ranchi family suicide : doctor says he did not poison family
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परिवार के सदस्य मौत का इंजेक्शन लेते रहे और डॉ सुकांतो सरकार देखते रहे

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परिवार के सदस्य मौत का इंजेक्शन लेते रहे और डॉ सुकांतो सरकार देखते रहे
ranchi family suicide : doctor says he did not poison family
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रांची। नोएडा के डाक्टर परिवार के पांच सदस्यों की मौत के मामले में डॉ सुकांतो सरकार अपने ही बयान में ही फंसते जा रहे हैं।

अब उन्होंने एक चौंकाने वाला बयान दिया है कि जब उनके परिवार के पांच सदस्य मौत का इंजेक्शन ले रहे थे तब वह यह सब कुछ अपनी आंखो से देख रहे थे। उन्हें होश तब आया जब उनके परिवार के सभी पांचों सदस्यों की मौत हो गई। पुलिस को दिया गया उनका यह बयान कई सवाल खड़े कर रहा है।

डॉ सुकांतो सरकार (63) ने पुलिस को दिए गए बयान में कहा है कि 8 अक्टूबर को शाम 7 बजे ही दोनों बच्चे सुमिता और सनिता खाना खाकर सो गए। इसके बाद समीर, मोमिता और मेरी पत्नी अंजना सरकार ने मुझे अपने को जिंदा नहीं रहने का फैसला सुनाया।

तीनों ने कहा कि तुम्हें जिंदा रहना है तो रहो अब हम लोगों को जिंदा नहीं रहना है। मधुमिता, हम लोगों को जेल भिजवा ही देगी तो हम लोग जिंदा रहकर क्या करेंगे। हमने तीनों को समझाया कि तुम लोग गलत रास्ता अपना रहे हो। ईश्वर और समय पर भरोसा रखो सब ठीक हो जाएगा।

बुरा समय आता है लेकिन समय के साथ सब ठीक हो जाएगा। जब इस तरह की बात तीनों ने मुझसे कहा फिर भी मैं उनको समझा नहीं पाया। इसके बाद मैं हताश और चुपचाप बैठा रहा।

उनका कहना है कि रात करीब 11-12 बजे के करीब समीर ने अपनी बेटी समिता को कंपोज का इंजेक्शन दिया। वहीं मोमिता ने अपनी बेटी सुमिता को और अंजना ने अपने बेटे समीर को और मोमिता ने खुद कंपोज का इंजेक्शन लिया। सभी इंजेक्शन लेने के बाद जिस जगह पर सोते थे, सो गए।

यह पूरी घटना मेरी नजरों के सामने होती रही और मैं हताश बैठकर देखता रहा। इसके पहले मेरी पत्नी अंजना सरकार और बेटे समीर सरकार ने एक नोट लिखकर डायनिंग रुम के टेबल पर रखा था।

उस रात के करीब 2-3 बजे मैंने सोचा कि यह पारिवारिक विवाद नहीं बल्कि सामाजिक विसंगतियां है कि एक शादी-शुदा लड़की जो बोलती है, उसे कानून और समाज मान लेता है। इसलिए मैंने भी निर्णय लिया कि मैं भी जान दे दूंगा लेकिन चाकू से ताकि समाज हमारी हालत को देखे तो विचार करे।

डा. सरकार ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि मैं किचेन नाइफ से हार्ट के ऊपर और गले के ऊपर दोनों पैर के नसों के ऊपर और दोनों हाथ के नसों के ऊपर जख्म किया। छ्ह इंच के चाकू से वार करने के बाद भी मैं कैसे बच गया पता नहीं।

छाती में दिल के ऊपर चार बार और गले में छह-सात बार चाकू से वार करने के बाद भी मेरा बचना दुर्भाग्य है। डॉ सुकांतो ने पुलिस को अपने दिए गए बयान में बताया है कि हरेक वर्ष दिसंबर के अंत में हम अपने मां और अन्य परिवार के साथ रांची आते थे और अपने भांजे सुब्रतो चौधरी के कोकर स्थित रिवर्सा अपार्टमेंट में सबके साथ आकर 8 दिन रुकते थे।

मेरी बूढ़ी मां और बड़ी बहन की उम्र को देखते हुए उनके लिए हर प्रकार की जरुरत की दवाइयां हम घर में ही रखते थे। उसमें कंपोज सिरिंज आदि भी था। शायद उसी दवाओं का अधिक डोज सभी तीनों ने खुद और अपने दोनों बच्चों को दिया जिससे सभी की जान चली गई।

डॉ सुकांतो ने अपने दिए गए बयान में कहा कि यह घटना मेरे परिवारिक विवाद के कारण हुई। वर्ष 2006 की 23 नवंबर को मेरे बेटे समीर सरकार का विवाह मधुमिता दास गुप्ता के साथ हुआ। शादी के बारे में मेरा यह विचार था कि जो लड़की जरुरतमद है, वैसी लड़की को ही घर में लाया जाए।

मधुमिता और मोमिता दोनों दक्षिणेश्वर में एक आश्रम में पली थी। इनकी माता जी घर छोड़कर चली गई थी। वर्ष 2010 में मोमिता का विवाह मेरे भतीजे पार्थिव से पूरे परिवार के सहमति से हुआ। पार्थिव बैंक ऑफ बड़ौदा में एचआर डिपार्टमेंट में मैनेजर है।

उसका तबादला होने की वजह से उसने अपनी पत्नी और बच्चे को अपने साथ रखने का आग्रह किया। मोमिता ने 7 अक्टूबर को अपने पति पार्थिव और पिता सहित अन्य रिश्तेदारों को मैसेज किया था कि दीदी ने मेरे जीवन को नष्ट कर दिया। मधुमिता की प्रताड़ना से पूरा परिवार तंग आ गया था इसलिए सबने सुसाइड करने की सोची।

सेना से रिटायर्ड कर्नल डॉ सुकांतो सरकार का इलाज रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में चल रहा है। उन्हें किडनी में समस्या के कारण रिम्स में भर्ती रखा गया है।

गौरतलब है कि रविवार को पुलिस ने रिवर्सा अपार्टमेंट के दसवें तल्ले में स्थित फ्लैट नंबर 1002 से डॉ सुकांतो सरकार की पत्नी अंजना (58), बेटा समीर (34) समीर की बेटी समिता (7) भतीजा पार्थिव की पत्नी मोमिता (28) और इनकी बेटी सुमिता (5) का शव बरामद किया था।

यहां जांच के दौरान पुलिस ने चार पन्नों का एक सुसाइड नोट भी बरामद किया था जिसमें लिखा था कि वे मधुमिता से परेशान हैं। वह सालों से उन्हें टार्चर करती आ रही है। अब और वे टार्चर नहीं सह सकते इसलिए जान दे रहे हैं।

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