नई दिल्ली/बीजिंग/वाशिंगटन। पूरी दुनिया में 150 से अधिक देशों के दो लाख से अधिक कंप्यूटरों को निशाना बना चुके रैनसमवेयर हमले का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा और सोमवार को भारत, चीन तथा जापान से फिरौती वायरस के हमलों की खबरें आई हैं।
इस बीच सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इंडिया टीव के संवाद कार्यक्रम में कहा कि भारत में ‘फिरौती वायरस’ के हमले का असर नहीं के बराबर है और भारत साइबर सुरक्षा बढ़ा रहा है।
फिरौती वायरस एक ऐसा वायरस है जो हैक किए गए डाटा के बदले पैसे की उगाही करता है। फिरौती की रकम नहीं देने पर हैकर डाटा को नष्ट कर देते हैं।
केरल में दो ग्राम पंचायत कार्यालयों के कंप्यूटर इस फिरौती वायरस का निशाना बने और उन पर सेव फाइलें दोबारा हासिल करने के लिए 300 डॉलर की राशि फिरौती के तौर पर मांगने का संदेश दिखा।
पहाड़ी वयनाड जिले के थारियोड पंचायत कार्यालय में जिन अधिकारियों ने कंप्यूटर ऑन किया, उन्होंने बताया कि कार्यालय के चार कंप्यूटर इस वायरस का निशाना बने हैं।
इसी तरह पथानमथिता जिले में कोन्नी के नजदीक अरुवापुलम ग्राम पंचायत कार्यालय के कंप्यूटर ऑन करने पर उन पर भी इसी तरह के संदेश नजर आए। सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ इन कंप्यूटरों को ठीक करने में लगे हुए हैं।
पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले में सरकारी बिजली विपणन कार्यालय के आठ कंप्यूटर रैनसमवेयर का शिकार हुए। विशेषज्ञ अभी इस बात का पता लगा रहे हैं कि क्या कंप्यूटर उसी वायरस का शिकार हुए हैं, जिनका तहलका पूरी दुनिया में मचा हुआ है।
मीडिया के एक हिस्से में खबरें आई हैं कि गृह मंत्रालय ने बचाव उपाय अपनाते हुए बैंकों को कुछ एटीएम बूथ बंद रखने का निर्देश दिया है।
संपर्क करने पर गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुझे गृह मंत्रालय द्वारा जारी इस तरह के किसी आदेश के बारे में नहीं पता। हो सकता है वित्त मंत्रालय ने यह आदेश जारी किया हो, लेकिन मुझे नहीं पता।
सरकार ने किसी बड़े साइबर हमले की आशंका के मद्देनजर पूर्व तैयारियों और प्रतिक्रिया प्रणाली सक्रिय कर दी है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार कंप्यूटर इमर्जेसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-आईएन) से कहकर रैनसमवेयर हमले से जुड़ी सूचनाएं एकत्रित करने के लिए एक पूर्व तैयारियों और प्रतिक्रिया प्रणाली को सक्रिय किया गया है।
मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि मंत्रालय ने सीईआरटी-आईएन द्वारा जारी किए गए सलाह के आधार पर निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के संबंधित साझेदारों से संपर्क कर अपने-अपने कंप्यूटरों के लिए सुरक्षा ‘पैच’ तैयार करने के लिए कहा है।
मंत्रालय ने माइक्रोसॉफ्ट इंडिया से अपने सभी साझेदारों और ग्राहकों को भी उचित सुरक्षा ‘पैच’ का इस्तेमाल करने के लिए सूचित करने का अनुरोध भी किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने रविवार को एक परामर्श जारी कर अपने कंप्यूटरों को हैक होने से बचाने के लिए सभी एटीएम के सॉफ्टवेयर अपडेट करने के लिए कहा।
जापान की 600 कंपनियां भी इस रैनसमवेयर हमले का शिकार हुई हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज हिताची और अग्रणी वाहन निर्माता निसान शामिल हैं। अधिकारियों ने सोमवार को रैनसमवेयर यानी ‘फिरौती वायरस’ साइबर हमले की पुष्टि की।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार चीन में 29,000 संस्थानों के कंप्यूटर इस फिरौती वायरस के हमले का शिकार हुए, वहीं अन्य खबरों में चीन के 30,000 से अधिक संस्थानों के लाखों कंप्यूटर साइबर हमले का शिकार हुए हैं।
चीन में कुछ पेट्रोल पंपो पर इस साइबर हमले के चलते शुक्रवार से ही ऑनलाइन भुगतान सेवा बंद है। इसके अलावा चीन के कुछ विद्यालयों के कंप्यूटरों से दस्तावेज नष्ट हो गए हैं।
आस्ट्रेलिया के साइबर सिक्योरिटी मंत्री ने बताया है कि ‘वानाक्राई’ नाम के फिरौती वायरस के हमले में आस्ट्रेलिया में कम से कम एक कंपनी प्रभावित हुई है।
वानाक्राई फिरौती वायरस माइक्रोसॉफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज के पुराने संस्करणों में खामी के चलते कंप्यूटरों को हैक करने में सफल हुआ है।
हैकरों ने जिन कंप्यूटरों यह साइबर हमला किया है, उनसे वह सेव हुई फाइलें दोबारा पाने के लिए डिजिटल मुद्रा के रूप में फिरौती की रकम मांगी है।
जिन कंप्यूटरों पर यह साइबर हमला हुआ है, उन पर सेव फाइलें दोबारा पाने के लिए डिजिटल मुद्रा ‘बिटकॉइन’ के जरिए 300 डॉलर की राशि मांगने वाला संदेश दिख रहा है।
यूरोपोल इस फिरौती वायरस का विश्लेषण कर रही है, हालांकि पूरी दुनिया को निशाने पर लेने वाले हैकरों के समूह का अब तक पता नहीं चल सका है।
माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष और मुख्य कानूनी अधिकारी ब्रैड स्मिथ ने रविवार को बयान जारी कर कंप्यूटर प्रणालियों में सुरक्षा खामियों की जानकारियों को छिपाकर रखने वाली सरकारों की आलोचना की।
इस बयान के मुताबिक शुक्रवार को होने वाले इस साइबर हमले के बाद लोग सोमवार को काम पर लौट रहे हैं, जिससे भविष्य में ‘रैनसमवेयर’ साइबर हमले होने की संभावना है।