भोपाल/शाजापुर। पांच दिवसीय दिपोत्सव में अभी करीब एक पखवाड़ा शेष है लेकिन इस वर्ष पुष्य नक्षत्र के साथ ही दिपावली पर्व के दौरान निरन्तर बने रहने वाले शुभ व मंगलकारी मुहूर्त की धूम त्योहारी सीजन को रौनकदार बनाती नजर आ रही है।
इस बारे में यदि ज्योतिषशास्त्र की माने तो आगामी 23 अक्टूबर को होने वाला रवि-पुष्य नक्षत्र का मिलन सर्वसिद्धिदायक योग निर्मित कर रहा है। जिसके दौरान शुभ मुहुर्त में किए गए किसी भी कार्य को सामान्य से अधिक फलदायी व लाभकारी सिद्ध होने की बात ज्योतिष शास्त्री कह रहे हैं।
त्योहारी सीजन में शुभ मुहुर्त का अत्याधिक महत्व है किसी भी नवीन कार्य को प्रारंभ करने व सामग्री को क्रय करने से पूर्व हिन्दु धार्मिक मान्यतानुसार चौघडिय़ा देखकर शुभ मुहुर्त में कार्य संपादित किया जाता है।
इस वर्ष दीपावली से आठ दिन और धनतेरस से छह दिन पहले 23 अक्टूबर रविवार को रवि पुष्य नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है। जिसके शुभ मुहुर्त के बारे में प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं.बाबुलाल शर्मा ने बताया कि रविवार को रविपुष्यामृत मिलन बुधानी योग व अमृतसिद्धि योग निर्मित कर रहा है जो कि 14 वर्षों में पहली बार आया है।
इस दिन अभिजीत मुहुर्त में सुबह नौ बजे से 12 बजे तक उपर्र्युक्त मुहुर्त है जिसमें बहीखाता खरीदने एवं सोना-चांदी सहित अन्य उपयोगी सामान क्रय किए जा सकते हैं। इसी के साथ दोपहर 1:30 बजे से तीन बजे तक का शुभ योग भी खरीददारी के लिए लाभप्रद है।
साथ ही सायं छह बजे से रात्रि 10 बजे तक स्थिर लग्न होने से पुष्य नक्षत्र पूर्ण रूप से प्रभावी रहेगा। इस दौरान शुभमुहुर्त में किए जाने वाले समस्त कार्य व सामग्रीयों की खरीददारी ज्योतिष मतानुसार लाभप्रद व विशेष फलदायी होगी।
इस बार 23 अक्टूबर को रवि पुष्य नक्षत्र योग रहेगा, जो खरीदी के लिए शुभ व समृद्धिकारक माना जाता है। दिवाली से 8 और धनतेरस से 6 दिन पहले रविवार को रवि पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है।
इस दिन खरीदारी का विशेष महत्व माना गया है। धनतेरस से पहले आने वाला यह योग बाजार में समृद्धि की बाहर लेकर आएगा। रवि पुष्य अपने आप में श्रेष्ठ नक्षत्र माना जाता है।
सोना, चांदी, बर्तन, कपड़ा इलेक्ट्रॉनिक के सामान, बही खाता खरीदी व लक्ष्मी पूजन सामग्री खरीदने का महामुहूर्त है। पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा माना जाता है। इसलिए इसमें की गई खरीदी समृद्धि कारक होती है।
पुष्य नक्षत्र की धातु सोना है जिसे खरीदने से वस्तु भविष्य में दोगुनी व तिगुनी हो जाती है। इसके विपरित इस योग के रहते कोई वस्तु बेचनी नहीं चाहिए क्योंकि भविष्य में वस्तु दोगुनी या तीन गुनी बेचनी पड़ सकती है। दिवाली के आठ दिन पहले पुष्य नक्षत्र दिवाली से पूर्व धनतेरस अबूझ मुहूर्त वाला दिन माना जाता है।
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