इंदौर। इस बार धनतेरस के छह दिन पहले रवि पुष्य नक्षत्र 23 अक्टूबर को बनेगा। इस दिन श्रीवत्स व अहोई अष्टमी, कालाष्टमी एवं सूर्य, बुध के एक साथ होने का संयोग बनने से खरीदारी का महत्व और बढ़ जाएगा।
पंडितों के अनुसार दीपावली से आठ दिन पहले और धनतेरस से छह दिन पहले रविवार को बन रहे इस पुष्य नक्षत्र में शुभ व स्वयं सिद्ध मुहूर्त वाला योग बन रहा है। जिसमें जमकर खरीदारी होगी। पंडितों का कहना है कि पुष्य नक्षत्रों में रवि पुष्य नक्षत्र काफी श्रेष्ठ माना गया है।
दीपावली के पहले इसका आना खरीदारी के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इस बार 23 अक्टूबर को यह रवि पुष्य नक्षत्र धनतेरस से छह दिन पहले आ रहा है। इसमें कई संयोग बन रहे है। इस संयोग में भूमि, भवन, ज्वेलरी, वाहन आदि की खरीदारी शुभ व स्वयंसिद्ध मुहूर्त वाली रहेगी।
पुष्य नक्षत्र एक दिन पूर्व 22 अक्टूबर शनिवार की रात 8.41 बजे प्रारंभ होगा जो दूसरे दिन रविवार को रात्रि 8.41 बजे तक रहेगा। पंडितों के अनुसार पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा माना जाता है इसलिए इसमें की गई खरीदारी समृद्धिकारक होती है। पुष्य नक्षत्र की धातु सोना है जिसे खरीदने से अत्यधिक लाभ होता है।