नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सख्त लहजे में एक बार फिर उम्मीदवारों के खर्च के लिए बैंकों से सप्ताहिक धन निकालने की सीमा बढ़ाने को कहा है।
अपने ‘संवैधानिक उत्तरदायित्व’ का जिक्र करते हुए आयोग ने कहा कि उनके निर्देशों का ‘अनिवार्य’ तौर पर पालन होना चाहिए।
आरबीआई को लिखे पत्र में चुनाव आयोग ने आरबीआई के धन निकासी सीमा बढ़ाने के सुझाव को ठुकराये जाने पर ‘गहरी चिंता’ व्यक्त करते हुए कहा कि जिस सरसरी तरीके से मामले पर रुख अपनाया गया उससे लगता है आरबीआई ने मामले की गंभीरता को नहीं समझा।
आयोग ने कहा कि यह उनका संवैधानिक उत्तरदायित्व है कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव हों और सबको समान अवसर मिले। ऐसे में सुचारू चुनाव कराने के लिए जरूरी है कि चुनाव आयोग के निर्देशों का ‘अनिवार्य’ तौर पर पालन किया जाए।
आयोग ने आरबीआई से दोबारा कहा है कि उसके 24 तारीख को लिखे खत पर पुनर्विचार हो और उम्मीदवारों के चुनावी खर्च के लिए बैंक खाते से धन निकासी की सीमा को बढ़ाया जाए ताकि उम्मीदवार खर्च सीमा तक धन का उपयोग कर सके।
इससे पहले शनिवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने चुनाव आयोग की चुनाव उम्मीदवारों की बैंकों से धन निकासी की साप्ताहिक सीमा को 24 हजार से बढ़ाकर 2 लाख रुपए किए जाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। मामले में आरबीआई ने कोई विशेष कारण नहीं दिया था।
आरबीआई ने सुझाव दिया था कि उम्मीदवार डिजिटल, चेक और अन्य माध्यमों से भुगतान करें। चुनाव आयोग ने बुधवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कहा था कि उम्मीदवारों की बैंकों से धन निकासी की साप्ताहिक सीमा को 24 हजार से बढ़ाकर 2 लाख रुपए किया जाए।
उम्मीदवारों का कहना है कि चेक और अन्य माध्यमों से खर्च किए जाने के बावजूद उन्हें प्रचार के लिए नकद धनराशि की आवश्कता है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखण्ड में उम्मीदवार प्रचार के लिए 28 लाख तो वहीं मणिपुर और गोवा में 20 लाख रुपए खर्च कर सकते हैं।
चुनाव आयोग ने आरबीआई को लिखे पत्र में कहा था कि नोटबंदी के बाद लगी साप्ताहिक नकद निकासी की सीमा को चुनाव उम्मीदवारों के लिए 11 मार्च (वोटो की गिनती) तक बढ़ाया जाए। विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी इसके लिए उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र जारी करेगा।