मुंबई। नोटबंदी के निर्णय पर हो रही उल्टी सीधी चर्चाओं पर विराम लगाते हुए रिजर्व बैंक ने कहा है कि नोटबंदी का निर्णय पूरी तरह से सरकार का था और इसमें रिजर्व बैंक की कोई भूमिका नहीं थी।
गौरतलब है कि वित्त विषयक संसदीय समिति ने रिजर्व बैंक को नोटिस जारी करके उसे अपना जवाब देने के लिए आदेशित किया था।
कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में संसद की वित्तीय मामलों की कमिटी के सामने 7 पन्नों के नोट में आरबीआई ने कहा कि नोटबंदी का निर्णय पूरी तरह से सरकार का है, उसमें रिजर्व बैंक का कोई रोल नहीं है।
7 नवम्बर को हमें सूचना मिली और 8 नवम्बर को आदेश जारी करते हुए नोटबंदी का निर्णय लागू कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि 22 दिसम्बर को रिजर्व बैंक ने वित्त विषयक संसदीय समिति को अपना जवाब दे दिया था। यह समिति कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली के नेतृत्व में काम कर रही है।
पहले इस बात से चर्चा का पूरा बाजार गरम था कि रिजर्व बैंक ने ही नोटबंदी के निर्णय को लागू करने में अहम भूमिका निभाई थी, पर वित्त विषयक संसदीय समिति को सौंपी गई रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने इस बात को स्वीकार किया है कि नोटबंदी का निर्णय बैंक का नहीं सरकार का था।
रिजर्व बैंक के इस दावे के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के दावे में विसंगति आ गई है। आरबीआई ने कहा है कि उसे सरकार की ओर से सूचना मिली थी कि कालाधन, फर्जी नोटों और आतंकवाद को रोकने के लिए पांच सौ और हजार रुपए के नोट को बंद कर दिया जाना चाहिए।